यथार्थ गाँधी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3
गाड़ी चलने दो
कुछ सामान गिरे तो गिरने दो
कुछ गड्ढे आएं आने दो
कुछ उछाल आएं आने दो
थोड़ी रफ्तार बढ़े, बढ़ने दो
गाड़ी चलने दो
कोई हसीं नज़ारा देख के रुकना
नए नज़ारों को देखने आगे बढ़ना
कोई दुखद खबर मिले मिलने दो
दुखों को पीछे छोड़ आगे बढ़ना
गाड़ी चलने दो
कोई शख्स दिखे राह में पुराना
थोड़ा उसको हाथ बढ़ाना
जितनी दूर चले चलाना
जब उतरे उतरने दो
गाड़ी चलने दो
थक जाओ तो रुक जाना
थोड़ा रोक कर आराम पाना
थोड़ा चाय पीना कुछ गाने गुनगुनाना
फिर सफर में निकल जाना
थोड़ी देर होजये तो होने दो
गाड़ी चलने दो
एक सफर है एक जीवन है
चार यार है एक प्यार है
गलतियां होने दो सुधरें तो सुधरने दो
थोड़ा सा संतुलन भी बिगड़ने दो
गाड़ी चलने दो