लेख
–गोवर्धन दास बिन्नानी “राजा बाबू”
-जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3
अनेकों प्रकार की विविधताओं से भरे हुये, मेरे प्यारे भारत देश की संस्कृति बहुरंगी है क्योंकि यहाँ हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध आदि विभिन्न संप्रदायों के लोग रहते ही नहीं, बल्कि वे सभी अपने अपने धर्मो केअनुसार रीति-रिवाज, पहनावा, खान-पान और मान्यताओं के अनुसार व्यवहार करते हुये एक राष्ट्र के संविधान में आस्था रखते हैं। जिससे यह स्पष्ट परिलक्षित होता है कि भारतीयता हम सबमें विद्यमान है ।
जैसा सभी प्रबुद्ध पाठक जानते हैं जहाँ एक तरफ हम जनाधिक्य, अशिक्षा, बेरोजगारी, आतंकवाद और राजनीतिक तुष्टिकरण की समस्याओं से ग्रसित हैं वहीं दूसरी ओर कुछ लोग हमारे संविधान का गलत लाभ उठाते हुये हमारी प्राचीन मान्यताओं और संस्कृति पर चोट पर चोट किए जा रहे हैं, आतंकवाद को राजनीतिक संरक्षण दिये जा रहे हैं । इसलिये हमारा यह दायित्व बनता है कि हम ऐसे लोगों की मानसिकता को उजागर करते रहने के साथ साथ प्रजातांत्रिक स्वरूप को बनाए रखने के लिए अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करते रहें । हमें ऐसा कोई भी काम नहीं करना है जिसके चलते देश की छवि जरा सी भी धूमिल हो ।
यह सर्वविदित है कि विश्व की उभरती आर्थिक ताकत के रूप में उभर रहा हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है। लिखने का यह मतलब है कि भारत में विदेशी पूंजी निवेश बढ़ रहा है। देश इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवा-सुविधाओं के मामले में आगे बढ़ रहा है। यह सब नागरिकों द्वारा चुकाये जाने वाले टैक्स से ही तो सम्भव हो रहा है । इसलिये जैसा हम हमेशा चर्चा में सुनते हैं कि हमारे यहाँ बेशुमार कालाधन है तो उस ओर भी हम सभी को सजग रहना है और ऐसे घूसखोर लोगों का पर्दाफाश करते रहना है ।
हम अवकाश प्राप्त लोगों का दायित्व है कि युवाओं को हम शिक्षित करें ताकि हमारी सरकार ने बेरोजगारी दूर करने के लिये यानि युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये जो जो योजनायें चालू की हैं , उन योजनाओं की पूरी पूरी सही जानकारी उन्हें हो पाये ।
इसी तरह हम में से जो भी शिक्षा क्षेत्र से अवकाश प्राप्त हैं उन्हें अशिक्षा को दूर करने के लिये एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाते हुये विद्यालयों में अपनी सेवायें देते हैं तो अशिक्षा को दूर करने में तो उनकी भूमिका नमन योग्य होगी ही साथ ही साथ उन्हें परोक्ष रूप से सक्रिय जीवन जीने का लाभ भी स्वतः ही प्राप्त होगा।
सरकार ने “स्वच्छ भारत अभियान” शुरू किया हुआ है जिसके तहत एक प्रचारक के रूप में इसका हिस्सा बनकर हम अपने साथियों को दैनिक कार्यों में से कुछ घंटे निकालकर भारत में स्वच्छता संबंधी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं ताकि कचरा मुक्त वातावरण बना पायें।देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत का निर्माण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।इसलिये आसपास की सफाई के अलावा सभी साथियों की सहभागिता से अधिक-से अधिक पेड़ लगाना, शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराकर एक स्वच्छ भारत का निर्माण करना है क्योंकि अस्वच्छ भारत की तस्वीरें भारतीयों के लिए अक्सर शर्मिंदगी की वजह बन जाती है। इसलिए स्वच्छ भारत के निर्माण एवं देश की छवि सुधारने में हम सभी का एक सकारात्मक भूमिका निभाना पावन कर्तव्य है ।
उपरोक्त उल्लेखित के अलावा और भी ऐसे अनेकों क्षेत्र हैं जहाँ हमें अपनी सकारात्मक भूमिका, स्वयं की सुविधा, समय का ध्यान रख, निभाने का पूरा पूरा प्रयत्न करते रहना है ताकि हम हमारे देश को सच्चे अर्थों में एक महान देश बनाने में अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान दें सकें।यही तथ्य इस बार सम्पन्न हुये ओलिम्पिक खेलों में स्पष्ट परिलक्षित हुआ है जब शानदार प्रदर्शन पश्चात पूर्व धावक अंजू बॉबी जॉर्ज के अलावा अन्य भूतपूर्व खिलाड़ियों ने सभी विजेताओं को बधाई देते हुये जो बयान जारी किये हैं उस सभी का सार यही है कि आजके प्रधानमन्त्री ने ओलंपिक में भागीदारी निभाने वाले प्रत्येक खिलाड़ी से समय समय पर बात कर उन सभी का जिस तरह से हौसला बढ़ाया, वह यही दर्शाता है कि हमारी सरकार विश्व स्तरीय खिलाड़ी तैयार करने के लिए पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से संगठित एवं संचालित योजनाएं एवं कार्यक्रम बनाकर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रही हैं । इस तरह न केवल खिलाड़ी बल्कि अन्य लोग भी जो खेलों से जुड़े हैं वे अपना अपना योगदान देश को गौरवान्वित करने में दे रहे हैं ।इसी तरह जिनकी रुचि खेलों में है वे खेलों को माध्यम बना देश को गौरवान्वित करने में अपना योगदान दे सकते हैं । याद रखें सच्चे नागरिक को अपने देश से ही नहीं बल्कि उससे जुड़ी हर वस्तु से प्यार होता है और उसके प्रति समर्पित भाव होता है ।
उपरोक्त वर्णित भाव को ही गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ ने निम्न पंक्तियों के माध्यम से स्पष्ट बताया है कि जिन्हें अपने देश तथा अपनी जन्मभूमि से प्यार नहीं है उनमें सच्ची मानवीय संवेदनाएँ नहीं हो सकतीं –
“जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं । हृदय नहीं वह पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ।।”
उपरोक्त सभी को मद्देनजर रखते हुये आप सभी को याद दिलाना चाहता हूँ कि हमारा देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था तब ऐसे अनेकों लोग थे जिन्होंने आजादी दिलाने के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिये थे । इसलिये हमें भी अपनी मातृभूमि के लिए कुछ भी कर गुजरने की तमन्ना रखनी चाहिये क्योंकि अच्छे, ईमानदार व कर्मठ नागरिक ही देश को शक्ति संपन्न, समृद्ध व संगठित बनाते हैं। याद रखें एक आदर्श नागरिक स्वेच्छा से अनुशासन का पालन ही नहीं करता है बल्कि वह देश के कायदों व कानूनों का पूरी पूरी निष्ठा से निर्वहन भी करता है। कानून को बनाए रखने में सरकार की सहायता करता है। हमें बिना स्वार्थी हुये राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को समझना चाहिए क्योंकि यह हम नहीं, अन्य लोग हैं, जो पीड़ित और लाभार्थी दोनों हैं ।
अन्त में आप सभी के ध्याननार्थ त्रेतायुग वाला श्लोक जो आज भी बहुत ही प्रासंगिक है क्योंकि यह हमें याद दिलाता है कि माता [ जननी ] और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है। इसलिये हम सभी का मातृभूमि के लिये, वह सब करना हमारा कर्तव्य बनता है, जो हम अपनी जननी के लिये करते हैं। वह श्लोक इस प्रकार है – “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।”
गोवर्धन दास बिन्नानी “राजा बाबू”
जय नारायण व्यास कॉलोनी , बीकानेर
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