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डायरी

    -सविता दास सवि
     -जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3

    कहाँ लिखती हूँ अब

    पन्नों पर दिल की कोई बात

    बहुत सताती है मुझे

    पुरानी डायरी की याद

    जो भी लिखती उसमें

    होते वो सप‌नो के रंग में डूबे

    समय था मुश्किलों से भरा बहुत

    हम जीवन से फिर भी ना ऊबे

    बड़े मासूम हुथा करते तब

    एहसास इस दिल के

    अब तो ऐसे पत्थर बन गए

    चौंक जाते हैं खुद से ही मिलके

    मेरी डायरी अंधेरी रातों में

    चांदनी बन जाती थी

    देखती जब मैं खुद को आईने में

    कविताएँ मेरी आँखों में चमकती थी।

    -सविता दास सवि

    बी.के नर्सिंग होम के विपरीत

    डाक: तेजपुर

    शोणितपुर

    असम

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