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सम्पादकीय

    -रेखा बोरा

    विहंगम, जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3


    आखिर ५०° सेल्सियस के ताप से झुलसी हुई धरती के धरती के फफोलों पर मरहम लगाने आ पहुंचा है गरजता, बरसता मनभावन सावन। उसके आगमन से धरती के चर अचराचर जीव प्रसन्न हो गए हैं। गर्मी से सूखे अकुलाए शरीर को जैसे प्राण मिल गये हैं।

    पेड़ों की शाखों में नव कलिका ने आंखें खोली हैं। नन्ही दूब भी खुश होकर लहराने लगी है। नदी, नहर, ताल, तलैया, कुंए भरने लगे हैं। पेड़ों पर प्रसन्नचित्त पक्षी कलरव करने लगे हैं।

    गर्मी से अकुलाया मन श्रावण माह में ईश्वर से जुड़ने व भक्ति का उत्तम माह माना जाता है। इसी कारण सावन माह को हिंदुओं का सबसे पवित्र माह कहा जाता है।

    आस्था का प्रतीक सावन माह शिव-पार्वती का प्रिय माह है। कांवड़ यात्रा का माह है। रुद्राभिषेक का माह है। सावन के सोमवार के उपवास व शुद्ध शाकाहारी भोजन का माह है।

    हरियाली तीज, रक्षाबंधन, नाग पंचमी, गुड़िया, आदि पर्वों का माह है। मेंहदी, हरी चूड़ियां , घेवर, मेले, झूले, फूलों का माह है।

    सावन किसानों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, सूरजमुखी व फल शाक-सब्जियों की बुवाई का माह है। बच्चों के प्रसन्न होकर पानी में भीगने का माह है।

    सावन भक्ति के साथ सबको जीवन प्रदान करने वाला माह है। नये पेड़ पौधों के जन्म लेने का माह है।

    विहंगम पत्रिका के जुलाई -अगस्त अंक को सावन‌ विशेषांक के रूप में लाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। यह अंक निश्चित ही आप सबको सावन की फुहारों समान ही  नव उत्साह नव शीतलता प्रदान करेगा।

    रचनाकारों की सुन्दर व संदर्भ परक रचनाओं ने इस विशेषांक को और भी कलात्मक बना दिया है। आप सभी सुधि पाठक भी इस विशेषांक का आनन्द लीजिए और अपनी राय पत्रिका के लिए पत्र लिखकर अवश्य बताइएगा।