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सावनआयो रे

    विमलेश गंगवार दिपि

    -जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3

    लेख

    सावन आयो रे

    सावन महीना आयो री ,सखि रिमझिम परत फुहार

       जुलाई महीने में श्रवण  नक्षत्र  की पूर्णिमा  पड़ती है इस लिए इस महीने का नाम श्रावण सावन मास हो गया ।

    विद्वानों के अनुसार यह महीना ईश्वर से जुड़ने की सकारात्मक भक्ति  का माह  है । शुद्ध चित्त से भोलेनाथ शिव शंकर जी की उपासना का पवित्र अवसर  है । भक्त लोग शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं, बड़ी  श्रद्धा पूर्वक फल, फूल, धतूरा, बेलपत्र, अर्पित करते हैं । दूध भी अर्पित करते हैं। शिव जी संसार के समस्त गरल को  पीने में समर्थ  हैं विषपान के कारण उन  का गला नील वर्ण का है इस कारण उन्हें नीलकण्ठ भी कहा जाता है।

    गले में जहरीले सर्पों की माला धारण करते हैं ताकि यह विष उनके भक्तों को कष्ट न  दे ।शंकर भोलेनाथ के भक्त कांवर यात्रा भी निकालते हैं । मन्दिरों में घंटा-घड़ियाल  बजाते हैं और बड़े प्रेम से शिव जी की स्तुति, आरती करते हैं।

                 संस्कृत के महाकवि कालिदास जी की विश्व विख्यात  रचना ‘मेघदूतम्’ में-  यक्ष  ने मेघ  को अपना दूत बनाकर अपनी प्रेयसी पत्नी को  विरह का मार्मिक  सन्देश  भेजा था । कवि का मेघ मानव जैसा है ।उसके हृदय में दया है। जाते समय बादल ने  देखा  कि आम्रकूट  पर्वत के वनों में आग लगी है जीव जन्तु, पेड़ पौधे जलने के कारण तड़प रहे है तब  बादल ने झमाझम  बरसती अपनी  शीतल पानी की बूंदों से अग्नि को बुझाकर उन सभी का कल्याण किया।

                 कृषकों के लिये तो यह माह बहुत ही उपकारी है ।सूखी धरती प्यास से विह्वल  होती है तब सावन  अपनी  शीतल वृष्टि से  धरा की प्यास  बुझाता है । धरती हरी-भरी  हो जाती है किसान खेतों में बीज बोते हैं। फसल तैयार होती है तो सभी के खाने-पीने की व्यवस्था  होती है ।

    जब अप्रैल, मई ,और जून के तपते ताप से संतप्त सभी जीवधारी त्राहिमाम, त्राहिमाम् का उद्घोष करने लगते हैं तब सावन के बादल ही रिमझिम-रिमझिम  बरसते  हैं और  सभी को शीतलता  प्रदान करते हैं। सूखी नदियाँ, सूखे तालाब, सभी पानी से लबालब  भर जाते है, मुरझाए पेड़-पौधे, फूल-फल, झुलसाई सब्जियाँ  सब पुनर्जीवित  हो जाते हैं । सावन  सृजन का महीना है, यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण न होगा ।

                सावन में अनेक महत्वपूर्ण त्योहार  मनाये जाते हैं।

    रक्षाबंधन, भाई-बहन  के प्रेम  का पर्व रक्षाबंधन पर भाई को राखी बांधने जाना-आना बहुत सुखद है।

    रिश्ते-नाते और मज़बूत  हो जाते हैं।  सावन  महीने के सभी सोमवार  भोलेनाथ की अर्चना के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं ।

             नागपंचमी  पर्व भी इसी महीने में होता है।

         महिलाओं  के साज-श्रृंगार और आभूषणों की शोभा से गुलज़ार  तीज का पर्व भी सावन में ही मनाया जाता है । कलाइयों में हरी-हरी  खनकती चूड़ियाँ  और हथेलियों  में कलात्मक मेंहदी  की शोभा सराहनीय  होती है ।

         वास्तव में यह अलौकिक  महीना है और सांसारिक भी। जो समाज  को जोड़ता है, खुश रहना सिखलाता है। समाज को भक्तिभाव एवं मिलजुल कर रहना भी सिखाता है।

    सावन माह  सभी के लिए  कल्याणकारी  एवं  प्रसन्नता  दायक होता है।

    विमलेश गंगवार दिपि

    M.A .  संस्कृत,  B.Ed.

    सेवानिवृत्त,  प्रवक्ता  संस्कृत 

    लखनऊ।