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सावनु-कजरी

    ज्ञानेन्द्र पाण्डेय “अवधी -मधुरस”

    अमेठी, उत्तर प्रदेश

    जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3

    सावनु बरसयि जिया बहु उरझयि सखिया सजनवा आयिनि ना ।

    हमरउ मरदा भयिनि बेदर्दा हॅंऽ कैसि करमवा पायिनि ना ।।

    बैरनि कोयलरि ना सबरि धरइया

    कुहु-कुहु निगोड़ी बोलयि अमरइया

    लागनु जहि कयि बोलि कटारी कब्बौ सुखु निंदिया सोयिनि ना ।।

    हमरउ मरदा भयिनि बेदर्दा हॅंऽ कैसि करमवा पायिनि ना ।।

    आंगनु मा गौरइया चहकयि

    मनवा मोंरा रहि-रहि बहकयि

    आंखिनु बहतु पनारो यैइसों कैइसों दरदिया मोयिनि ना ।

    हमरउ मरदा भयिनि बेदर्दा हॅंऽ कैसि करमवा पायिनि ना ।।

    गोतिनिनि निमिया झूला डराबयिं

    केउ गावयिं कजरी मल्हारु केउ गावयिं

    साजनु मोरा भयिनि बिदेसिया केउ झुलनवा झुलायिनि ना ।।

    हमरउ मरदा भयिनि बेदर्दा हॅंऽ कैसि करमवा पायिनि ना ।।

    सावनु बरसयि जिया बहु उरझयि सखिया सजनवा आयिनि ना ।

    हमरउ मरदा भयिनि बेदर्दा हॅंऽ कैसि करमवा पायिनि ना ।।