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सावन गीत

    प्रतिभा श्रीवास्तव

    लखनऊ

    जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3

    अब के सखी न साजन आए

    क्यों कर बैरी सावन आए

    अब के सखी न…

    जी भरमाए कारे बादल

    पवन झकोरे कर दें घायल

    चातक प्यासा आस लगाए

    क्यों कर बैरी सावन आए

    अब के सखी न…

    मन ये दर्शन को अब तरसे

    इन अंखियों से मोती बरसे

    कोई कैसे धीर बंधाए

    क्यों कर बैरी सावन आए

    अब के सखी न…

    कंगना बिंदिया भाए  न मोहे

    कजरा गजरा रुचे न मोहे

    झांझर मोरी तोहे बुलाए

    क्यों कर बैरी सावन आए

    अब के सखी न साजन आए

    क्यों कर बैरी सावन आए