कांता रावत
हरिद्वार, उत्तराखंड
जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3
आज सावन ऐसे बरसा,
जैसे कई दिनों से इसको था
इंतजार, रिमझिम बारिश की
चारों तरफ है बौछार,
फूलो-पौधों पर बारिश की
बूंदों ने बरस कर,
प्रकृति के साथ आज
मनाया है उत्सव,
काले-काले बादल,
दोबारा से लौट कर आते,
और अपने साथ गगरिया,
भर-भर कर पानी लाते,
हरे-भरे पेड़ों पर फूलों की है सुंदर बहार,
गगन मंडल मौन बनकर मना रहा है,
अपना उत्सव,
हवाओं का शोर है!
चारों ओर, बिजली कड़के
करके कभी उजाला कभी अंधेरा,
मौसम सुहाना हुआ कितना
बाग- बगीचे भी करते अपना श्रृंगार,
रिमझिम पानी की बौछारों से,
भीग रहा हमारा घर आंगन,
भा रहा है हमको सावन