– मेघदूत
विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2
राजू एक साधारण गाँव का लड़का था, जो बचपन से ही बड़े-बड़े सपने देखता था। किताबों में खोया रहता और दुनिया के हर कोने के बारे में जानने की लालसा रखता था। उसकी सबसे बड़ी ख्वाहिश थी कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़े और दुनिया में बदलाव लाए। यह ख्वाब उसकी माँ को हमेशा हँसाता था, लेकिन राजू के दिल में यह सपना गहराई तक बसा हुआ था।
एक रात, राजू ने सपना देखा कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में खड़ा है। भीड़ उसके नाम का जयकारा कर रही थी, उसकी तस्वीरें अखबारों और टीवी चैनलों पर छाई हुई थीं। वह स्टेज पर खड़ा होकर भाषण दे रहा था, और लोगों में जोश और उमंग भर रहा था। उसके पास एक शानदार टीम थी, जो उसकी हर योजना को सफल बनाने में लगी थी।
चुनाव का दिन आ गया। राजू ने पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ा और मतगणना के परिणाम आने लगे। जैसे-जैसे परिणाम आने लगे, राजू का नाम सबसे ऊपर दिखने लगा। वह आगे बढ़ता गया और अंततः चुनाव जीत गया।
राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने का समय आया। वह बड़े गर्व के साथ शपथ लेने के लिए मंच पर खड़ा हुआ। हजारों की भीड़ तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठी। राष्ट्रपति का पद उसे सौंपा जाने वाला था कि अचानक उसे अपनी माँ की आवाज़ सुनाई दी, “राजू, उठ जा बेटा, स्कूल जाने का समय हो गया है!”
राजू ने आँखें खोलीं और देखा कि वह अपने बिस्तर पर है। उसकी माँ उसे उठा रही थी। वह हक्का-बक्का रह गया। सपना इतना सजीव था कि वह खुद को वाकई में राष्ट्रपति समझने लगा था।
राजू उठकर बैठ गया, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी सपने की चमक थी। उसने अपनी माँ से कहा, “माँ, मुझे अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना है!”
उसकी माँ ने हँसते हुए कहा, “पहले स्कूल का चुनाव जीत ले बेटा, फिर अमेरिका की सोच लेना।”
राजू ने नाश्ता किया और स्कूल के लिए निकल पड़ा। स्कूल में भी उसके मन में वही सपना घूमता रहा। जब वह स्कूल पहुँचा, तो उसकी क्लास में एक नई घोषणा हुई। स्कूल में ‘स्टूडेंट काउंसिल’ का चुनाव होने वाला था और इच्छुक छात्रों को नामांकन भरने की सूचना दी गई।
राजू को एक नई उम्मीद की किरण नजर आई। उसने अपने दोस्तों से बात की और सबने उसे चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया। राजू ने नामांकन भरा और अपनी योजना बनानी शुरू की। वह पूरी तैयारी के साथ चुनाव में उतरा।
चुनाव के दिन, उसने अपने सपने को याद करते हुए भाषण दिया और सबको प्रभावित किया। मतगणना के समय, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। परिणाम आया और राजू ने स्टूडेंट काउंसिल का चुनाव जीत लिया।
वह खुशी से झूम उठा और उसकी माँ को यह खबर सुनाई। माँ ने गर्व से कहा, “देखा, मैंने कहा था न, पहले स्कूल का चुनाव जीत, फिर आगे की सोच।”
राजू का सपना भले ही अधूरा रह गया था, लेकिन उसने अपने पहले कदम को पूरा कर लिया था। वह जानता था कि अभी और भी चुनाव और चुनौतियाँ उसकी राह देख रही हैं, और एक दिन वह अपने बड़े ख्वाब को भी पूरा करेगा।
उसका अधूरा ख्वाब अब एक नई शुरुआत का प्रतीक बन गया था, और राजू ने अपने सपनों की उड़ान को एक नई दिशा में मोड़ दिया था।