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अंतरराष्ट्रीय भविष्य

    नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

    गणित ज्योतिष का आधार है चाहे रावण संहिता हो भृगु संहिता हो, भविष्य पुराण हो या बृहद पराशर होरा मुहूर्त चिंतामणि हो या बाराह मिहिर, ये सभी ग्रंथ भारतीय परंपरागत ज्योतिष के आधार श्रोत ग्रंथ हैं।

    एक ग्रंथ भारतीय ज्योतिषीय प्रारम्परा का दुर्लभ ग्रंथ है जो प्राणी के पूर्व जन्मों का विवरण प्रस्तुत करता है ‘करम दीपक’ जो गणतिय सिद्धांतो से कुछ अलग है। बहुत स्प्ष्ट है की भविष्य की गणनाओं का आधार ही विशुद्ध गणित है जिसका और भी स्प्ष्ट तात्पर्य यह है कि ज्योतिष आस्था का विषय नहीं है पूर्ण रूप से ज्योतिष एक विज्ञान का विषय ही है।

    वर्तमान में भारत मे ठीक ज्योतिष को आस्था के अस्तिव से जोड़ कर ज्योतिष गणना की जाती है जो कदापि ज्योतिष विज्ञान के सिद्धांतों के विपरीत है। आस्था में भय भी होता है और जब आस्था के अस्तित्व में भय का आगमन होता है तो कोई भी विषय विज्ञान नहीं हो सकता है।

    विश्व कि सभी सरकारें अपनी योजनाओं को सांख्यकीय के प्राययिकता के सिंद्धान्त के आधार पर ही नियोजित करती हैं। Principle of probability of statistics वर्तमान में सम्पूर्ण मानवता के विकास के लिए रीढ़ कि हड्डी एवं आधार है। लेकिन पूर्ण रूप से गणितीय एव विज्ञान पर आधारित होने के बावजूद इसमें त्रुटियों कि संभावनाएं रहती हैं।

    ज्योतिष गणना में त्रुटियों कि संभावना नही रहती है। ज्योतिष में सम्भावना की गुंजाइश तभी रहती है जब इसे आस्था के अस्तित्व से जोड़ कर उसमें भय को जोड़ दिया जाय जबकि ज्योतिष विज्ञान कि विशुद्ध गणना में संभावना कि गुंजाइश ही नहीं रहती सिवा इसके कि वैज्ञानिक, ज्योतिषीय गणनाओं के गणना का परिणाम सिर्फ निश्चित को ही स्प्ष्ट करता है।

    वर्तमान परिवेश में प्रतिदिन दो विषयों पर लगभग प्रतिदिन बड़े-बड़े ख्याति लब्ध कथित ज्योतिष विद्वनो द्वारा अपनी गणना प्रस्तुत किया जा रहा है। कुछ द्वारा नास्त्रेदमस और वेंगा को उध्दृत किया जा रहा है तो कुछ द्वारा स्वंय को जीवित नास्त्रेदमस घोषित किया जा रहा है और अनाप शनाप गणनाओं से भारत ही नही वैश्विक मानव कि आस्था के अस्तिव में भय तत्व को बढ़ाया जा रहा है।

    वर्तमान में पहला प्रश्न है क्या तृतीय विश्वयुद्ध होगा या नहीं?

    इस विषय पर लगभग सैकड़ो बार अपने लेखों ने अपनी गणनाओं से स्प्ष्ट किया है किंतु यूक्रेन रूस युद्ध और पश्चिम एशिया में अस्थिरता के सापेक्ष नई नई भविष्यवाणियां सोशल मीडिया एव वैश्विक जन मानस को संशय में डाल रखा है।

    तमाम ज्योतिष विद्वानों द्वारा 2025 तक तृतीय विश्व युद्ध को निश्चित बताया जा रहा है। कारण यह है कि वैश्विक शक्ति का मुखिया यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका में पांच नवम्बर-2024 को राष्ट्रपति के चुनावों के कारण वह किसी भी विवाद में प्रत्यक्ष नही पड़ना चाहेगा जिससे उसकी आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित हो। लेकिन मेरी गणना सभी सम्भावनाओं

    को नकारती हुई बहुत स्प्ष्ट परिणाम बताती है।

    गणना का परिणाम वर्तमान परिवेश में-

    मेरे बहुत से मित्रों ने पुनः इस गम्भीर विषय पर  अपनी गणनाओं को करने एव पुनः सार्वजनिक करने का अनुरोध किया है जो हमारे लिए अनुरोध कि अनिवार्यता को विवश करती है ।

    मैंने मित्रों के अनुरोध के आधार पर इस विषय पर पिछले सात आठ माह से सभी उपलब्ध सिद्धांतो एव सूत्रों के आधार पर ज्योतिषीय गणनाएँ की हैं जिसके परिणाम निम्नवत है–

    1- रूस यूक्रेन युद्ध और गम्भीर स्थिति में पहुंच सकता है ।

    2- पश्चिम एशिया की स्थिति में उतार चढ़ाव आएंगे और ऐसा प्रतीत होगा कि वैश्विक समाज समुदाय तृतीय विश्व युद्ध के बहुत निकट पहुंच चुका है और विश्वयुद्ध अब शुरू हुआ कि तब लेकिन अंततः तृतीय विश्वयुद्ध अपने प्रारम्भ से पहले ही कल्पनाओं ही मात्र रह जायेगा।

    दूसरी महत्वपूर्ण भविष्यवाणी महाप्रलय से सम्बंधित आती  रहती है  जो तरह तरह कि धार्मिक मार्मिक भवनाओ के आधार पर आधारित होता है  प्रलय महाप्रलय शब्द नही ब्रह्मांड एव ब्रम्ह सत्य के अस्तित्व से जुड़े है ।

    वैज्ञानिक रूप से बहुत स्प्ष्ट है की सम्पूर्ण विश्व के मानव समाज ने अपने विकास में प्रकृति के साथ ऐसा परिहास किया है और करती जा रही है जिसके कारण ब्रह्म के ब्रह्मांड के दो प्रमुख तत्व प्रकृति एव प्राणि में अदृश्य अप्रत्यक्ष रूप द्वंद शुरू हो रहा है। जिसके कारण प्रकृति लगभग प्रतिदिन पृथ्वी के किसी भाग पर अपना रौद्र रूप प्रदर्शित करती रहती है। तूफान,सुनामी भूकम्प, जंगलों में आग, कोरोना संक्रमण नई नई बीमारियों का आगमन आदि ब्रम्ह के दोनो महत्वपूर्ण तत्वों प्रकृति एव प्राणी के मध्य असंतुलन के द्वंद का परिणाम ही है जो भविष्य में बढ़ता जाएगा। बढ़ती जनसंख्या एव पृथ्वी पर बढ़ते बोझ दबाव संसाधन एव उपभोग के मध्य असीमित अंतर का परिणाम ही है ।

    आज से लगभग छः सौ वर्ष पूर्व विद्वान नास्त्रेदमस ने इन्हीं गणनाओं के आधार पर अपनी अधिकतर भविष्यवाणियां की है जो प्रकृति एव प्राणि के असंतुलन एव द्वंद के परिणाम पर आधरित हैं।

    यह प्रलय या महाप्रलय नहीं है। इस विषय पर जितने भी विद्वनो ने अपने मत वैज्ञानिक आधार धार्मिक आधार एव अन्य कई मतों परिणाम  प्रस्तुत किए है जो महाप्रलय  से संदर्भित नही हैं।

    महाप्रलय कि कोई संभावना अभी हज़ारों वर्षो तक बिलकुल नहीं है। इस संदर्भ में किसी भी भविष्यवाणी का कोई वैज्ञानिक आधार हो ही नहीं सकता है।

    राष्ट्रीय-

    महाराष्ट्र-

    राष्ट्रीय स्तर पर कुछ  दिनों में ही महाराष्ट्र एवं झारखंड विधानसभाओं के चुनाव होने वाले हैं। जिसमे दो महत्वपूर्ण विचारधराओ का लोकतांत्रिक द्वंद होगा भारतीय जनता पार्टी के एव उनके सहयोगी दलों का गठबंधन एव दूसरा कांग्रेस विचाधारा आधारित गठबंधन महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों से पूर्व एनडीए मजबूत था लेकिन परिणाम उसके लिए संतोष जनक नहीं रहे। ऐसी स्थिति में बदलाव प्रतीत नहीं हो रहे हैं। महाराष्ट्र का चुनाव बहुत कठिन एव संशययुक्त है क्योकि यहां दोनों ही गठबंधनों मे किसी को बहुत ताकतवर नहीं कहा जा सकता। सम्भावनाएं ऐसी दिख रही हैं कि कोई छोटी से छोटी त्रुटि महाराष्ट्र में पराजय का कारण किसी के लिए भी बन सकती है। निष्पक्ष परिणाम अब भी लोकसभा पूर्व गणना को ही भविष्य हेतु आधार स्वीकार करते हैं।

    झारखंड-

    ऐसा राज्य है जहां प्रत्येक पांच वर्षों बाद सरकारें बदलने की परंपरा है। यह परम्परा हिमांचल में भी है। लेकिन सत्ता इस बार लौटेगी इसकी सम्भावनाएं देखा जाय तो झारखंड कि परम्परा के अनुसार नगण्य हैं, लेकिन परिवर्तन कठिन एव चुनौतीपूर्ण होगा।।

    नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

    गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।।