-एच0 सी0 बडोला “हरदा”
विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2
रिश्तों को समय से पानी देना
एक प्रचलन नही प्रक्रिया है,
जिसे मैने रामदास जैसे व्यक्ति से सीखा बोला नंगी धूप में अपराजिता का पौधा
यूं ही हरा-भरा नहीं रहता
प्रयास तो किया था,जाने से पहले
सभी को बरामदे में पानी से लबालब भरकर
एक सकून की चादर ओढ़
यात्रा पर निकलूँ
ताकि मुरझाने-सूखने की
चिन्ता से मुक्त रहूँ
लौटा तो रामदास को अपराजिता
की छांव में मुस्कराते पाया
बोले प्रिय की सबसे बड़ी चिन्ता लेकर साथ गये थे
नौतपा में सब सूखे पर
अपराजिता, अपराजिता ही रही।