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Vihangam August 2024
–प्रो.विश्वम्भर शुक्ल विधु की मृदुल रश्मियों के सँग अगम समंदर नहा गया है, अँधियारे कोने में...
–शिप्रा श्रीजा दुख आता है ऐसेजैसे फटता है बादलतब अचानक विशाल जलराशि पहाड़ सी टूट पड़ती हैबहा...
-श्यामल बिहारी महतो कितनी-कितनी आशाएं जुड़ी थीं उस जमीन के टुकड़े से और आज यह चमन महतो के हाथ से...
-डॉ. सतीश “बब्बा” प्रयागराज एक्सप्रेस धड़ल्ले से दौड़ती हुई जा रही थी। हम एयरकंडीशन...
–डॉ. मुकेश ‘असीमित ‘ मैं निठल्ला सा मुखपोथी ,मेरा मतलब फेसबुक की दीवारों को आवारा...
-रामेश्वर वाढेकर ‘संघर्षशील’ बचपन से मेरा एक ही सपना था कि मुझे सीनियर कॉलेज में सहायक प्राध्यापक...
‘फिर से सूखी रोटी और आलू की सब्जी। पिछले तीन महीने से यही खाना खा-खाकर ऊब चुका हूं। मैं नहीं खाऊंगा’...
– डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ‘मृदुल’ उर्मिला अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं। वह...
-डॉ अर्चना श्रीवास्तव मै रोज की तरह कालेज से वापस आ रही थी। अभी कुछ ही दूर बढी थी ,कि मैने...