छोटी बेगम
बेनीराम “अंजान” वरिष्ठ साहित्यकार, गोला गोकर्णनाथ विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 अंग्रेजों का जमाना था। देश में चारों ओर गुलामी का बोलबाला था। सरकार और… Read More »छोटी बेगम
बेनीराम “अंजान” वरिष्ठ साहित्यकार, गोला गोकर्णनाथ विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 अंग्रेजों का जमाना था। देश में चारों ओर गुलामी का बोलबाला था। सरकार और… Read More »छोटी बेगम
-रेनू गुप्ता, जयपुर विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 “हैपी बर्थडे टू यू…हैपी बर्थडे टू यू…!” पार्श्व में बजते इस संगीत के मध्य मीतू अपनीमाँ को… Read More »मिलियन डॉलर स्माइल
-रेनू गुप्ता, जयपुर विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 नीलजा के कैंसर की आखिरी स्टेज थी। डॉक्टर ने आज ही तो उसके पति करण से कहा… Read More »ऐ वक़्त थम जा
-रेनू गुप्ता, जयपुर विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 मैं सुबह-सवेरे घर का कूड़ा फेंकने कॉलोनी के तनिक बाहर स्थित कचरागाह तक गई ही थी कि… Read More »कद्दावर
रेखा बोरासाहित्यकार, संपादक, विहंगम विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 गर्मियां शुरू होते ही उत्तराखंड के जंगलों में काफल का फल पकने लगते हैं। काफल वहीं… Read More »काफल पाको
स्मृति सिंह, असि. प्रोफ़ेसर आर्य कन्या महाविद्यालय, हरदोई विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 भारतीय संस्कृति में मानव समाज में केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि उस… Read More »हित अनहित पशु पक्षी जाना
शिप्रा खरे अध्यक्ष, कपिलश फाउंडेशन, मुख्य संपादक- विहंगम डायरेक्टर– KSSS Pvt Ltd विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 भीषण गर्मी के दिन हैं। सूरज की तरफ… Read More »रूबरू रोशनी है
सूक्ष्म लता महाजननैचुरोपैथ और लाइफ कोच, नोएडा विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 आज भीषण गर्मी के चलते हर व्यक्ति परेशान है और बढ़ चढ़ कर… Read More »सूक्ष्म चिंतन
/*! elementor – v3.22.0 – 17-06-2024 */ .elementor-heading-title{padding:0;margin:0;line-height:1}.elementor-widget-heading .elementor-heading-title[class*=elementor-size-]>a{color:inherit;font-size:inherit;line-height:inherit}.elementor-widget-heading .elementor-heading-title.elementor-size-small{font-size:15px}.elementor-widget-heading .elementor-heading-title.elementor-size-medium{font-size:19px}.elementor-widget-heading .elementor-heading-title.elementor-size-large{font-size:29px}.elementor-widget-heading .elementor-heading-title.elementor-size-xl{font-size:39px}.elementor-widget-heading .elementor-heading-title.elementor-size-xxl{font-size:59px}कंचन पाठक, कवियित्री-लेखिका, नई दिल्ली. विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 ”अश्र्च्त्थमेकं पिचुमिन्दमेकं… Read More »क्यों उन्मन है पृथ्वी का मौसम
सम्पादकीय- श्री अलंकार रस्तोगी विहंगम, अप्रैल मई 2024, वर्ष-1 अंक- 2 विहंगम मात्र एक पत्रिका ही नहीं है यह साहित्य और समाज के उत्थान के… Read More »एक गठबंधन पर्यावरण से