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आसानी से नहीं बनते हैं विश्व रिकार्ड

    – एड. रमाकान्त चौधरी

    विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2

    आसानी से नहीं बनते हैं विश्वरिकार्ड

    अँधियारा  निश्चित   छटेगा  घर  शमा जल जाए तो।

    मंजिल खुद आकर  मिलेगी गर कदम उठ जाए तो।

    कुछ  भी  नामुमकिन  नहीं  है  इस  जहां  में दोस्तों,

     टूट  जाते  हैं  किनारे    गर     नदी   उफनाए   तो।

       इन पंक्तियों को सही साबित कर दिखाया कपिलश फाउंडेशन की अध्यक्ष शिप्रा खरे व उनके पति यतीश शुक्ला ने।  यतीश शुक्ला एक ऐसी शख्सियत हैं जो स्वयं अकेले दम पर पांच विश्व रिकॉर्ड स्थापित कर चुके हैं। सन 2021 में जब कोरोना काल का समय चल रहा था तब इसी कपिलश फाउंडेशन ने सबसे अधिक समय तक चलने वाले काव्य पाठ का विश्व रिकार्ड बनाने का निर्णय लिया जिसे 128 घंटे अनवरत चलाकर विश्व रिकार्ड बनाने में सफलता भी हासिल की। किंतु 4 साल के लंबे अंतराल के बाद जब कोई भी देश इस  रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाया तो पुनः अपने द्वारा बनाए गए रिकार्ड को खुद ही तोड़ने का निर्णय लिया जो कि कपिलश फाउंडेशन की संस्थापक श्रीमती लक्ष्मी खरे, तथा आयोजन के संरक्षक ज्ञान स्वरूप शुक्ल, नानक चंद वर्मा, डॉ. वी.बी. धूरिया व आयोजन समिति के सदस्य अरुणेश मिश्र,  विश्वंभर शुक्ल, श्रीकान्त तिवारी ‘कान्त’, रजनीश मिश्र, रमेश पांडे शिखर शलभ, द्वारिका प्रसाद रस्तोगी, अरविंद गुप्ता राम जी, आचार्य नंदीलाल निराश, सुधीर अवस्थी, बृजेश तिवारी, मधुकर सैदाई, आलोक तिवारी आलोक, संत कुमार बाजपेई संत, वेद प्रकाश अग्निहोत्री वेद, रविसुत शुक्ल  तिवारी, वैद्य राम जी रस्तोगी सरल, शैलेंद्र सक्सेना, श्याम किशोर अवस्थी, रमाकान्त चौधरी, रेखा बोरा, मनोज शुक्ला, अजय प्रताप सिंह राठौर, बीपी बेधड़क, मुनेंद्र प्रताप मंजुल  आदि की देख रेख में 25 सितंबर 2024 से 1 अक्टूबर 2024 तक अनवरत 150 घंटे छोटी काशी काव्य महाकुंभ (कवि सम्मेलन एवं मुशायरा) के नाम से उत्तर प्रदेश के जिला लखीमपुर खीरी के  रॉयल लॉन में आयोजित किया।  जब  30 सितंबर को अपने ही 128 घंटे का रिकार्ड तोड़ा तो आयोजन स्थल पर मौजूद लोग बज रहे ढोल नगाड़े के साथ थिरक उठे, और  आतिशबाजी के साथ कदम बढ़ उठे नये रिकार्ड की ओर…. 

     फिर यह काव्य पाठ  अपने लक्ष्य से ज्यादा अर्थात 154 घंटे 16 मिनट 33 सेकेंड तक   चला। शाम लगभग साढ़े छः बजे  विश्व रिकॉर्ड दर्ज करने वाली द बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड दुबई  यूएई के जज समीर सिंह और गोल्डन बुक का वर्ल्ड रिकॉर्ड टेक्सास अमेरिका के जज आलोक कुमार सिंह ने 150 घंटे के नये विश्व रिकार्ड की घोषणा की तो यतीश शुक्ला व शिप्रा खरे की आखें खुशी से छलछला उठी सबने भारत माता की जय के नारे लगाए।

       वास्तव में यह आयोजन बहुत ही शानदार व रोमांचकारी रहा भारत देश के एक दर्जन से अधिक प्रदेशों के 650 से अधिक साहित्यकारों/कवियों ने प्रतिभाग करके इसे सफल बनाने में सहयोग किया। लगातार 7 दिन तक चले इस आयोजन में  यतीश शुक्ला, शिप्रा खरे, नगर के वरिष्ठ साहित्यकार श्रीकांत तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार रविसुत शुक्ला, समाजसेवी नानक चंद वर्मा सात दिनों में शायद सात घंटे ही सो पाए होंगे। इस महाकुंभ के संपूर्ण आयोजन में लगभग 30 घंटे मुझे भी संचालन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ इन सात दिनों में रेखा बोरा,  नगर के  वरिष्ठ गीतकार रमेश पांडेय शिखर शलभ, वैद्य रामजी रस्तोगी,मुनेन्द्र प्रताप मंजुल, आलोक तिवारी, हितेश सुशांत, प्रदीप रघुनायक सहित बाहर से आये कई साहित्यकार लगातार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते रहे। एक प्रकार से यह साहित्यकारों का संगम साबित हुआ। इस आयोजन में तमाम साहित्यकारों से मुलाकात हुई।

    सबसे अधिक रोमांचकारी तो यह रहा कि कई दिन तो ऐसे गुजरे  कि कवियों की भीड़ में सब को संभालना बड़ा मुश्किल कार्य रहा सभी को जल्दी पढ़कर अपने घर वापसी करनी थी उस समय का संचालन वास्तव में बड़ा ही कठिन दौर से गुजरा।जिसे स्वंय यतीश शुक्ला ने हैंडिल किया।  कवियों की अधिक संख्या  के चलते जिन्हें दूर जाना था या देर हो रही थी वे कवि इस महाकुंभ के रिकॉर्ड में बिना पढ़े ही वापस लौटे इस बात का सभी को अफसोस रहा। किन्तु कुछ कवियों ने काव्य पाठ करने के लिए 24  घंटे तक भी इंतजार किया वे सभी प्रशंशा के पात्र बने।

    जिम्मेदारी भी बड़ी चीज होती है हर एक कवि को काव्य पाठ करने के बाद उसे प्रमाण पत्र देकर सम्मानित करने में कहीं भी कोताही नहीं बरती गई। दूर दराज से आये कवियों के ठहरने की व्यवस्था पूर्व विधायक विनय तिवारी  व  साहित्यकार श्रीकान्त तिवारी  तो सभी के भोजन की व्यवस्था समाजसेवी नानकचंद वर्मा  की जिम्मेदारी में रही।

        इस आयोजन में कई रातें ऐसी भी गुजरीं जब नगर के कवियों और साहित्यकारों को फोन करके बुलाना पड़ा वास्तव में बड़ा ही तीखा और मीठा अनुभव रहा। कई बार ऐसा लगा कि अब यह कार्य मुश्किल होता जा रहा है किंतु कार्यक्रम के संयोजक यतीश शुक्ला अध्यक्ष शिप्रा खरे लगातार उपस्थित रहकर सभागार में मौजूद संपूर्ण टीम को दिशा निर्देश देते रहे, यहाँ तक कि सोना तक भूल गए लेकिन अनवरत चलने वाले इस काव्य महाकुंभ को मंजिल तक पहुंचा कर ही दम लिया। सन 2021 में बने रिकॉर्ड में जो लोग पूरी तन्मयता से सहयोगी रहे उनमें से आचार्य नंदीलाल निराश अस्वस्थता के कारण अधिक समय उपस्थित नहीं रह पाए वही अभिषेक निष्कर्ष  अधिक व्यस्तता के कारण अनुपस्थित रहे इनकी कमी आयोजक टीम को खलती रही। वहीं नगर के हितेश सुशांत,वैद्य रामजी रस्तोगी प्रमोद गुप्ता भोले सहित बाहर से आये कई कवियों ने सबसे अधिक समय देकर आयोजन को सफल बनाने में सहयोग किया। नगर के  गणमान्य  नगर वासी,  विद्यालयों के छात्र छात्राएं तथा कई पार्टियों के नेता भी समय समय पर उपस्थित रहे।

     एड. रमाकान्त चौधरी

        गोला गोकर्णनाथ