सावन
– नमिता सचान सुन्दर -जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 सावन की बात छिड़ते ही हमारे मन में लहराने लगता है अम्मा के घर के सामने का… Read More »सावन
– नमिता सचान सुन्दर -जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 सावन की बात छिड़ते ही हमारे मन में लहराने लगता है अम्मा के घर के सामने का… Read More »सावन
-लेख -अलका शर्मा-जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 “मक्खी बैठी दूध पर, पंख गए लपटाय।* हाथ मले अरु सिर धुने लालच बुरी बलाय।” लालच एक प्रकार… Read More »लालच बुरी बला
-डॉ विभा खरे -जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 आधुनिक युग में बढ़ते हुए मानसिक तनावजन्य रोगों का एक कारण यह भी है कि आज का… Read More »स्वास्थ्य के लिये घातक- उतावलापन
पुस्तक समीक्षा पुस्तक- सत्य बोध- प्रथम, द्वितीय लेखक, कवि- सर्वोदय संत कानदास सिद्धांति समीक्षक- गौतम के. गट्स जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 जीवन में प्रेम… Read More »पुस्तक- सत्य बोध- प्रथम, द्वितीय
लेख-गोवर्धन दास बिन्नानी “राजा बाबू” -जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 अनेकों प्रकार की विविधताओं से भरे हुये, मेरे प्यारे भारत देश की संस्कृति बहुरंगी है क्योंकि… Read More »जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
-कहानी-के. सरन विहंगम, जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 लखनऊ का बलरामपुर अस्पताल…. वार्ड में मरीज सो रहे थे। एक बल्ब डिम सा जल रहा था। स्टाफ… Read More »उपहार
-रेखा बोरा विहंगम, जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 आखिर ५०° सेल्सियस के ताप से झुलसी हुई धरती के धरती के फफोलों पर मरहम लगाने आ… Read More »सम्पादकीय
-गरिमा लखनवी विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 प्रकृति कुछ कहना चाहती है मुझसे,हवा की सरसराहट,पक्षियों की चहचहाहट,नदियों का शोर,बारिश का उल्लास वातावरण,मेरे मन को प्रफुल्लित… Read More »प्रकृति
-अजय प्रताप सिंह राठौर लखीमपुर, खीरी विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 धुंध पसरी आसमां मेंहवा कुछ थमी थमी सी हैपरिंदों में भी वो चमक… Read More »धुंध पसरी आसमां में
-कविन्द्र उपाध्याय विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 इस धरा का ये उत्सव,आओ मनाएं वन महोत्सव,हरियाली को फैलाएं हम सब,खुशहाली को बढ़ाएं हम सब,वृक्षारोपण का ये… Read More »वन महोत्सव
कुमार राघवबहादुरगढ़ हरियाणा मेकैनिकल इंजीनियरिंग, इतिहास में स्नातकोत्तरहरियाणा सरकार में अध्यापक पद पर कार्यरत विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 जब छा जाएँ काले बादल, और… Read More »भोर
-एच0 सी0 बडोला “हरदा” विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 रिश्तों को समय से पानी देनाएक प्रचलन नही प्रक्रिया है,जिसे मैने रामदास जैसे व्यक्ति से सीखा… Read More »अपराजिता
द्वारिका प्रसाद रस्तोगी वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाजसेवी गोला गोकर्णनाथ, खीरी विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 वृक्ष सदा से दाता होते देते हमको निधि महान इसकी… Read More »पर्यावरण, हमारी प्राथमिकता
प्रो.विश्वम्भर शुक्ल वरिष्ठ साहित्यकार, लखनऊ विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 अद्भुत भारत देश हमारा, हर्ष-पर्व के फेरे ,चित्रकार घर घर अलबेले मोहक चित्र उकेरे !द्वारे… Read More »अद्भुत भारत देश हमारा
रमेश पाण्डेय “शिखर शलभ” गीतकार, छोटी काशी गोला , खीरी विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 आज क्यों अनमना गीत है— अनछुई भावना, अनवरत साधना, शब्द… Read More »तृप्ति का आचमन