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बेधड़क हुंडलियाँ

    -विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2

    कपिलश  के  सुंदर  रत्न, यतीश कांत व संत।

    प्रखर शिखर अरु द्वारिका,तुलसी दास महंत।।

    तुलसी  दास  महंत, सभी  कवि  गण पारंगत।

    कड़ी – कड़ी को जोड़, कर रहे सबको जाग्रत।।

    कहें  बेधड़क  बंधु, सभी  कवियों  का स्वागत।

    देकर स्वीकृतिअपनि,सुनिश्चित करिये आगत।।

                        हुंडलियाँ 02

    स्वागत  में  कविगण खड़े,करने को सत्कार।

    कपिलश के दरबार में,कवियन की भरमार।।

    कवियन की भरमार, सज रहा कविता मेंला।

    हास्य वीर रसओज,सभी कवियों का खेला।।

    कहें    बेधड़क   बंधु , आ  रही  नामी  हस्ती।

    खूब   करेंगे  मित्र, ठिठोली  मौज  व मस्ती।।

                  -बी पी मिश्र बेधड़क

                     गोला खीरी यूपी