कुमार राघव
बहादुरगढ़ हरियाणा
मेकैनिकल इंजीनियरिंग, इतिहास में स्नातकोत्तर
हरियाणा सरकार में अध्यापक पद पर कार्यरत
विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2
जब छा जाएँ काले बादल, और अँधेरा हो घनघोर
एकल पथिक हो राह तलाशो, खुद ही उगा लो अपनी भोर
छोटी-छोटी किरणें मिलकर, बनती जब पुँज ज्वाला हैं
कर देती हैं जग को रोशन, माने नहीं किसी का जोर।
शत्रु खड़ा हो भौंहें ताने, अपनों पर संकट आ जाए
रहे काल जब समक्ष तुम्हारे, और धरा भी थर्राए
हाथ खींच लें अपने भी जब, समय विवश जब हो जाए
भुजबल अपना तोल-मोल कर, स्वबल पर ही करना गौर
जब छा जाएँ काले बादल…….
लौटो फिर कर्तव्य पथ पर, ले उल्लास घटाओं सा
तुम हो भगीरथ गंग निकालो, तोड़ो जाल जटाओं का
तुम ही तो हो जिसको निशदिन, ताक रहा बोझिल आँखें
अब खुद दीपक बनकर चमको, कठिन तिमिर में कर दो भोर
जब छा जाएँ काले बादल……