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कविता

कपिलश

-एन पी पाठक अभाषित  कपिलश  अंतर्राष्ट्रीय  मंच, अप्रत्याशित  आयोजन। सप्त   दिवसीय   काव्य  पाठ,  अनवरत  संयोजन। छोटी काशी महाकुंभ,गोलागोकर्णनाथ समायोजन। विश्व कीर्तिमान,अप्रतिम  उपलब्धियों का  प्रयोजन।१ अति… Read More »कपिलश

हालात बुरे हों तो बचाता नहीं कोई

-रवींद्र श्रीवास्तव ‘रवि’ तक़दीर के लिक्खे को मिटाता नहीं कोई। हालात बुरे हों तो बचाता नहीं कोई।। १ माना कि बुराई भी भले लाख थी… Read More »हालात बुरे हों तो बचाता नहीं कोई

घिर आई बदरिया

–डॉ सुषमा त्रिपाठी -जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 घिर आई बदरिया सावन की। सावन की,मनभावन की।, घिर आई बदरिया सावन की। कारे-कारे बदरा जिया डरवावें।… Read More »घिर आई बदरिया

श्यामल बदरी

-सीमा धवन, गाजियाबाद– जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 श्यामल बदरी नभ से क्षण-क्षण जल बरसाए।  रिमझिम -रिमझिम हँसकर अपने पास बुलाए।। मेघों नें प्रेमिल नीर अपरिमित… Read More »श्यामल बदरी

अपने तो बचेंगे ही नहीं

-एच. सी. बडोला ‘हरदा’ उत्तराखंड –जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 अपनों के सूखे जीवन को देख बादल बहुत दुःखी थे, सोचने लगे दुःख से निजात… Read More »अपने तो बचेंगे ही नहीं