ये जिंदगी भी बस
स्मृति सिंह, असि. प्रोफ़ेसर आर्य कन्या महाविद्यालय, हरदोई विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 ये जिंदगी भी बस, बस सी हो गई है। खड़खड़ाती, हिचकोले खाती,… Read More »ये जिंदगी भी बस
स्मृति सिंह, असि. प्रोफ़ेसर आर्य कन्या महाविद्यालय, हरदोई विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 ये जिंदगी भी बस, बस सी हो गई है। खड़खड़ाती, हिचकोले खाती,… Read More »ये जिंदगी भी बस
श्रीकान्त तिवारी “कान्त” वरिष्ठ साहित्यकार गोला गोकर्णनाथ, खीरी विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 सूर्य के माथे पर बल हैं, छांव अकुलाने लगी है। हवा गरमाने… Read More »हवा गरमाने लगी है
–भॅवरलाल कुमावत (स्टेट अवार्ड टीचर) प्रधानाध्यापकमातु श्रीमती रूकमाबाई रणछोड़ सिंह राजपुरोहित राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय, मोहराई, राजस्थान। विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 सूरज… Read More »प्रकृति का ताण्डव रोकें पेड़ लगाएं
ज्योतिष गुरु ओझा अरविंद लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश मो. न.- 9919399723 विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य के शरीर में जो… Read More »सूर्य आत्मा है
-छगन लाल व्यास विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 वैसे सरकारी नौकरी में जिसका एक बार चयन हों जाता है वह चैन की नींद ही… Read More »नकल प्रकरण का हो भंडाफोड़
शिप्रा खरे अध्यक्ष, कपिलश फाउंडेशन मुख्य संपादक- विहंगम, डायरेक्टर– KSSS Pvt Ltd विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 गंगा, भारत की पवित्रतम नदियों में से एक,… Read More »गंगा- कैसे रहे अविरल और निर्मल
– मेघदूत विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 राजू एक साधारण गाँव का लड़का था, जो बचपन से ही बड़े-बड़े सपने देखता था। किताबों में खोया… Read More »अधूरा ख्वाब
– मेघदूत विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 गाँव का नाम था पिपलिया और उसके एक कोने में था बुजुर्ग वासुदेव का कच्चा घर। वासुदेव के… Read More »बच के रहो
बेनीराम “अंजान” वरिष्ठ साहित्यकार, गोला गोकर्णनाथ विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 अंग्रेजों का जमाना था। देश में चारों ओर गुलामी का बोलबाला था। सरकार और… Read More »छोटी बेगम
-रेनू गुप्ता, जयपुर विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 “हैपी बर्थडे टू यू…हैपी बर्थडे टू यू…!” पार्श्व में बजते इस संगीत के मध्य मीतू अपनीमाँ को… Read More »मिलियन डॉलर स्माइल
-रेनू गुप्ता, जयपुर विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 नीलजा के कैंसर की आखिरी स्टेज थी। डॉक्टर ने आज ही तो उसके पति करण से कहा… Read More »ऐ वक़्त थम जा
-रेनू गुप्ता, जयपुर विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 मैं सुबह-सवेरे घर का कूड़ा फेंकने कॉलोनी के तनिक बाहर स्थित कचरागाह तक गई ही थी कि… Read More »कद्दावर
रेखा बोरासाहित्यकार, संपादक, विहंगम विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 गर्मियां शुरू होते ही उत्तराखंड के जंगलों में काफल का फल पकने लगते हैं। काफल वहीं… Read More »काफल पाको
स्मृति सिंह, असि. प्रोफ़ेसर आर्य कन्या महाविद्यालय, हरदोई विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 भारतीय संस्कृति में मानव समाज में केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि उस… Read More »हित अनहित पशु पक्षी जाना
शिप्रा खरे अध्यक्ष, कपिलश फाउंडेशन, मुख्य संपादक- विहंगम डायरेक्टर– KSSS Pvt Ltd विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 भीषण गर्मी के दिन हैं। सूरज की तरफ… Read More »रूबरू रोशनी है