मेरे कृष्ण
– सुयश खरे खुद को ईश्वर कहते हो तो अपना नाम बताओ, ऐसा क्या कर डाला तुमने सारे जग को तो दिखलाओ यह सुनते ही… Read More »मेरे कृष्ण
– सुयश खरे खुद को ईश्वर कहते हो तो अपना नाम बताओ, ऐसा क्या कर डाला तुमने सारे जग को तो दिखलाओ यह सुनते ही… Read More »मेरे कृष्ण
-डॉ. साधना अग्रवाल ‘साधिका’ प्रेम गणित तो है नहीं, जो यूँ ही हल होए। हल करने की चाह में, रोज साधिका रोए।। प्रेम रसायन शास्त्र… Read More »दोहा मसाला
-शिव डोयले नदी को इस तरह उछलकूद करते बड़ी गौर से देख रहा हूँ बच्चों के नहाते समय उनकी मस्ती में शरीक हो गई है… Read More »नदी को बहने दो
– विनोद शर्मा “सागर” खेलें हमसे आँख मिचौली धूप छाँव के दिन।। बाँध हवा के धागे से सब उड़ा रहे बादल गुब्बारों के जैसे नभ… Read More »धूप छाँव के दिन
-राम मोहन गुप्त ‘अमर’ यदा यदा हि धर्मस्य…का देकर संदेश केशव ने मंत्र दिया दुनिया को विशेष कर्म ही है धर्म… फल की चिंता छोड़… Read More »निज कर्म किए जा
-एन पी पाठक अभाषित कपिलश अंतर्राष्ट्रीय मंच, अप्रत्याशित आयोजन। सप्त दिवसीय काव्य पाठ, अनवरत संयोजन। छोटी काशी महाकुंभ,गोलागोकर्णनाथ समायोजन। विश्व कीर्तिमान,अप्रतिम उपलब्धियों का प्रयोजन।१ अति… Read More »कपिलश
-डॉ उदयवीर सिंह ए जिंदगी कभी कभी लगता है, कि कदम थका दिए तूने । फिर उठती एक आवाज जेहन से और पूछती है, अभी … Read More »कदम थका दिए तूने
-रवींद्र श्रीवास्तव ‘रवि’ तक़दीर के लिक्खे को मिटाता नहीं कोई। हालात बुरे हों तो बचाता नहीं कोई।। १ माना कि बुराई भी भले लाख थी… Read More »हालात बुरे हों तो बचाता नहीं कोई
–शिप्रा श्रीजा दुख आता है ऐसेजैसे फटता है बादलतब अचानक विशाल जलराशि पहाड़ सी टूट पड़ती हैबहा ले जाती है उपज के साथ रिहाइश भी दुख… Read More »दुख कैसे आता है
–डॉ सुषमा त्रिपाठी -जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 घिर आई बदरिया सावन की। सावन की,मनभावन की।, घिर आई बदरिया सावन की। कारे-कारे बदरा जिया डरवावें।… Read More »घिर आई बदरिया
–सुधा मिश्रा सीतापुर जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 वर्षा की ऋतु आ गयी, वसुधा हुई निहाल। तृप्त हुए सब चर -अचर, भरे तलैया ताल। उमड़-… Read More »सावन
-सीमा धवन, गाजियाबाद– जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 श्यामल बदरी नभ से क्षण-क्षण जल बरसाए। रिमझिम -रिमझिम हँसकर अपने पास बुलाए।। मेघों नें प्रेमिल नीर अपरिमित… Read More »श्यामल बदरी
-एच. सी. बडोला ‘हरदा’ उत्तराखंड –जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 अपनों के सूखे जीवन को देख बादल बहुत दुःखी थे, सोचने लगे दुःख से निजात… Read More »अपने तो बचेंगे ही नहीं
-अरुणेश मिश्र सीतापुर जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 शिव के स्वरूप कितने अनूप शशिभाल शुभ्र मां गंगा शिर कर में त्रिशूल तन मन स्थिर उर… Read More »शिव
–अमिता त्रिवेदी, लखनऊ जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 मन के उमड़े भाव है सावन, प्रिय मिलन का सार है सावन। चंचल होते बालमन में, बूंदों की… Read More »सावन