राष्ट्रदेव के आराधन में
– व्यग्र पाण्डे राष्ट्र देव के आराधन में करें समर्पण सर्वस्व अपना रहे सुरक्षित देश हमारा रहा सदा से सपना अपना पूरव-पश्चिम उत्तर-दक्षिण सीमाओं पर… Read More »राष्ट्रदेव के आराधन में
– व्यग्र पाण्डे राष्ट्र देव के आराधन में करें समर्पण सर्वस्व अपना रहे सुरक्षित देश हमारा रहा सदा से सपना अपना पूरव-पश्चिम उत्तर-दक्षिण सीमाओं पर… Read More »राष्ट्रदेव के आराधन में
-श्यामल बिहारी महतो कितनी-कितनी आशाएं जुड़ी थीं उस जमीन के टुकड़े से और आज यह चमन महतो के हाथ से निकलने वाली थी ।… Read More »पापा आप तो ऐसे न थे
-डॉ. सतीश “बब्बा” प्रयागराज एक्सप्रेस धड़ल्ले से दौड़ती हुई जा रही थी। हम एयरकंडीशन वर्थ 2 बी की लोवर वर्थ पर आसीन हो गए थे।… Read More »चवन्नी का चक्कर
–डॉ. मुकेश ‘असीमित ‘ मैं निठल्ला सा मुखपोथी ,मेरा मतलब फेसबुक की दीवारों को आवारा आशिक की तरहा छेड़ रहा था की एक पोस्ट पर… Read More »मुंशी प्रेमचंद जी की कुर्सी
-रामेश्वर वाढेकर ‘संघर्षशील’ बचपन से मेरा एक ही सपना था कि मुझे सीनियर कॉलेज में सहायक प्राध्यापक बनना है। इसलिए मैं परिवार को छोड़कर कई… Read More »सी.एच.बी. सहायक प्राध्यापक
‘फिर से सूखी रोटी और आलू की सब्जी। पिछले तीन महीने से यही खाना खा-खाकर ऊब चुका हूं। मैं नहीं खाऊंगा’ -खाने की थाली को… Read More »वो नाश्ता
– डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ‘मृदुल’ उर्मिला अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं। वह कुशाग्र बुद्धि की धनी थीं। अतः पढ़ने लिखने में हमेशा अब्बल… Read More »अपनों का दंश
-डॉ अर्चना श्रीवास्तव मै रोज की तरह कालेज से वापस आ रही थी। अभी कुछ ही दूर बढी थी ,कि मैने देखा,सामने से भारी… Read More »हथकड़ियां
-ऋतु गुप्ता आज राधा जी की पहली पुण्यतिथि पर पूरा परिवार, घर नाते रिश्तेदार बच्चे सब एकत्रित हैं। चौकी पर रखी श्रीमती राधा सुबोध… Read More »आखिरी श्रृंगार
–नन्दलाल मणि त्रिपठी पीताम्बर धर्म राज अपने पहले चरण की पृथ्वी यात्रा पूर्णकरने के उपरांत कैलाश भगवान शिव के सेवार्थ प्रस्तुत हुये और प्रथम चरण की… Read More »मीनाक्षी
-रामेश्वर वाढेकर–जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 बारिश जोरों से गिर रही थी। सभी तरफ पानी ही पानी हुआ था। उसी समय गोदावरी को बाढ़ आई।… Read More »हैसियत
-राम नगीना मौर्य जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 मेरे हाथ में एक किताब है, लेकिन पढ़ने का मन नहीं कर रहा। इसे बस, उलटते-पलटते-देखते सामने की… Read More »खिड़की के उस पार
-राजेश ओझा जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 चौदह दिसम्बर उन्नीस सौ सत्ताइस। जिला कारावास गोण्डा की एक सीलन भरी कोठरी। ठक ठक ठक… बूट की… Read More »सत्रह दिसम्बर
– नमिता सचान सुन्दर -जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 सावन की बात छिड़ते ही हमारे मन में लहराने लगता है अम्मा के घर के सामने का… Read More »सावन
-कहानी-के. सरन विहंगम, जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 लखनऊ का बलरामपुर अस्पताल…. वार्ड में मरीज सो रहे थे। एक बल्ब डिम सा जल रहा था। स्टाफ… Read More »उपहार