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गीत

गीत

–प्रो.विश्वम्भर शुक्ल विधु की मृदुल रश्मियों के सँग अगम समंदर नहा गया है, अँधियारे कोने में संचित तिमिर  हृदय का बहा गया है ! भूली… Read More »गीत

पर्यावरण, हमारी प्राथमिकता

द्वारिका प्रसाद रस्तोगी वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाजसेवी गोला गोकर्णनाथ, खीरी विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 वृक्ष सदा से दाता होते देते हमको निधि महान इसकी… Read More »पर्यावरण, हमारी प्राथमिकता

अद्भुत भारत देश हमारा

प्रो.विश्वम्भर शुक्ल वरिष्ठ साहित्यकार, लखनऊ विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 अद्भुत भारत देश हमारा, हर्ष-पर्व के फेरे ,चित्रकार घर घर अलबेले मोहक चित्र उकेरे !… Read More »अद्भुत भारत देश हमारा

तृप्ति का आचमन

रमेश पाण्डेय “शिखर शलभ” गीतकार, छोटी काशी गोला , खीरी विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 आज क्यों अनमना गीत है— अनछुई भावना, अनवरत साधना, शब्द… Read More »तृप्ति का आचमन

हवा गरमाने लगी है

श्रीकान्त तिवारी “कान्त” वरिष्ठ साहित्यकार गोला गोकर्णनाथ, खीरी विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2 सूर्य के माथे पर बल हैं, छांव अकुलाने लगी है। हवा गरमाने… Read More »हवा गरमाने लगी है