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विहंगम जून जुलाई 2024

जागेश्वर धाम

यात्रा संस्मरण -रेखा बोरा जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 उत्तराखंड का पांचवां धाम- जागेश्वर धाम अल्मोड़ा से ३५ किलोमीटर तथा काठगोदाम से ११६ किलोमीटर दूर स्थित है।… Read More »जागेश्वर धाम

खिड़की के उस पार

-राम नगीना मौर्य जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 मेरे हाथ में एक किताब है, लेकिन पढ़ने का मन नहीं कर रहा। इसे बस, उलटते-पलटते-देखते सामने की… Read More »खिड़की के उस पार

मेघा बरसो हर मन हर्षो

राम मोहन गुप्त ‘अमर’ लखीमपुर खीरी जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 गरज-कौंध, चमक-दमक के चपला नील गगन में बहुत डराती, रह रह घबराती चिंता भरे… Read More »मेघा बरसो हर मन हर्षो

सावनु-कजरी

ज्ञानेन्द्र पाण्डेय “अवधी -मधुरस” अमेठी, उत्तर प्रदेश जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 सावनु बरसयि जिया बहु उरझयि सखिया सजनवा आयिनि ना । हमरउ मरदा भयिनि… Read More »सावनु-कजरी

बरसात में भीगता अंतर्मन

 कांता रावत हरिद्वार, उत्तराखंड जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 आकाश में उमड़ते- घुमड़ते बादलों का शोर, और उस पर मेरे अंतर्मन का खुश होना, उन… Read More »बरसात में भीगता अंतर्मन

सावन के मेघ घिरे कजरारे

मीनाक्षी पीयूष निवास- लखनऊ जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 नभ में बादल भरे-भरे हैं, सावन के मेघ घिरे कजरारे। बरसें बादल रिमझिम-रिमझिम,  धरती का पर… Read More »सावन के मेघ घिरे कजरारे

रिमझिम बरसे सावन

मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’  लखनऊ,उत्तर प्रदेश जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 प्रकृति मोहिनी नवल निराली नित नव रूप बदलती है। बासंती  फागुनी कभी तो कभी सावनी… Read More »रिमझिम बरसे सावन

भीज गई मन की तिदुआरी

गीत प्रो. विश्वम्भर शुक्ल लखनऊ जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 तुमने रची प्रीति की मेहँदी हमने कोई छंद लिखा , सुधि के सहज प्रसंग मृदुल… Read More »भीज गई मन की तिदुआरी

स्वच्छ जमीन स्वच्छ आसमान

लेख -रत्ना बापुली जून जुलाई 2024, वर्ष-1 अंक-3 खगोलीय दृष्टि से देखा जाए तो हमारा विश्व सौर्य मंडल की गतिविधि एंव आकर्षण से एक दूसरे… Read More »स्वच्छ जमीन स्वच्छ आसमान