Skip to content

सम्पादकीय: सितम्बर-अक्टूबर 2024

    विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2

    सम्पादकीय

    हम भारत देश के राज्य उत्तर प्रदेश के जिले लखीमपुर खीरी के एक छोटे से कस्बे गोला गोकरण नाथ में वो काम करने रहे हैं जो अब तक न हुआ था। गोला गोकरण नाथ वह कस्बा है जिसे गोकर्ण नाथ की कृपा से छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पौराणिक मंदिर में शिवलिंग गाय के कान का आकार लिए हुए है। ज़मीन में कई फुट नीचे होने के कारण जिन्हें “गड्ढे वाले बाबा” भी कहा जाता है।

    इसी नगर में पिछली 25 सितंबर से 01 अक्तूबर 2024 तक लगातार 150 घंटों तक कविता की रसधार बही जिसके आनंद में डूबने के लिए पूरे नगर के साथ भारत भर के 500 से अधिक कवि कवयित्री और शायर शायरा आए। गंगा जमुनी तहज़ीब के इस छोटे से नगर में प्रेम और सद्भाव की जड़ें बहुत गहरी हैं।

    मैंने अपने पिता स्व कपिल देव खरे की स्मृति में कपिलश फाउंडेशन की विधिवत स्थापना 2018 में की। जबकि फाउंडेशन 2015 से सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक कार्य और कार्यक्रम करता रहा है। 

    2019 से 2024 तक फाउंडेशन ने 6 विश्व रिकॉर्ड आयोजन कराए जिनमें से 2021 और 2024 में (विश्व के सबसे लंबे कवि सम्मेलन और मुशायरे का विश्व कीर्तिमान) लॉन्गेस्ट पोएट्री शो के विश्व रिकॉर्ड स्वयं संस्था के नाम हैं।

    कपिलश बनने से पहले ‘समय’ ने मुझे कई बार गर्त में धकेला और मेरी सहनशीलता की परीक्षा लेने के बाद हाथ पकड़ कर बाहर भी निकाल लिया। इन मुश्किल समय में मैंने लोगों के वो चहरे देखे जो शायद साधारण परिस्थितियों में कभी न दिखते और भ्रम के आनंद में मैं जीवन भर डूबी रहती।

     कपिलश, पिताजी के अधूरे सपनों को आकार देने का एक माध्यम है जिसके लिए मैंने अपना जीवन समर्पित कर दिया है। यह मेरे लिए एक राग की तरह है जिसके आरोह, अवरोह, पकड़ और बंदिश में मेरे प्राण बसते हैं।
    आप जानते हैं स्वरों की खूबी क्या होती है? एक बार जब वे सांस भर लेते हैं और तान छेड़ देते हैं तो मंद्र से तार सप्तक पहुंच कर ही दम लेते हैं।


    समेटकर ज़माने भर की गर्द ओ गुबार।

    नदी  चल  देती  है नई राह पर हर बार। ।

     
    यह कहते हुए मुझे तनिक संकोच नहीं होता कि हम दुनिया की सबसे धीमी संस्था है। हम कछुआ हैं, जो बड़े आराम से चल रहे हैं। हमारी खाल इतनी मोटी है कि हमारे ऊपर पैर रखकर भी कोई निकल जाता है तो हमारे ऊपर कोई असर नहीं होता है लेकिन हमारी रफ्तार में में कोई कमी नहीं आती हम आराम से वैसे ही चलते रहते हैं जैसे पहले चल रहे होते हैं।

    हम भागने दौड़ने में विश्वास नहीं रखते। हमें लगता है कि जब हम बहुत तेज रफ्तार में चलते हैं तो बहुत सारी चीजें हमारी आंखों के आगे ठीक तरीके से आ नहीं पाती। तेज़ चलने पर बहुत से लोग पीछे छूट जाते हैं, हम उनको साथ लेकर नहीं चल पाते हैं। लेकिन जब हम आराम से चलते हैं तो, चाहे किसी के पैर कमजोर हो, वह भी हमारे साथ चल सकता है, और चाहे किसी की उम्र कितनी भी हो वह भी हमारे साथ चल सकता है। चाहे वह नया हो और चाहे वह पुराना ही क्यों ना हो हर कोई हमारे साथ चल सकता है।

    जब हम आराम से चलते हैं तो मैं अपने साथियों की बात सुनने का मौका भी मिलता है और अपनी बात सुनने का भी मौका मिलता है वह हमें समझ पाते हैं हम उन्हें समझ पाते हैं ।

    संस्था को यूं तो बने हुए लगभग 10 साल हो गए हैं लेकिन अगर उसके पंजीकरण की बात करें तो अभी यह सप्तम वार्षिकोत्सव हम लोग मना रहे हैं। और अब तक इतनी आयोजन करने के बाद भी हम अपनी संस्था में सिर्फ संरक्षक और संयोजक चुन पाए हैं। आप में से बहुत से लोगों ने देखा होगा कि हमारे पांचों संयोजक जो इस आयोजन में भी मौजूद है वह विश्व रिकॉर्ड आयोजन में भी मौजूद थे और बराबर आपको भागते दौड़ते दिखाई हो दिए होंगे।

    आप संस्थाएं देखी होगी जिसमें जैसे ही पद मिलता है तो उसके साथ एक कुर्सी मिल जाती है, लेकिन यह अनोखी संस्था है जिसमें दायित्व मिलते साथी कुर्सी छिन जाती है। और जिनको दायित्व मिलता है उनको बराबर अपने दो पैरों पर भागना दौड़ना पड़ता है। यहां तक की आपको जितने भी लोग मुझे जानते हैं आपने कभी भी मेरी भी कुर्सी नहीं देखी होगी। तो यहां जितने भी लोगों को दायित्व मिलता है उन सब की कुर्सियां पहले छिनती है। इसीलिए चुनाव में बड़ी दिक्कत आती है।

    पदभार शब्द का असली अर्थ हमारी संस्था दिखती है।
    पद मिलते साथ ही इतना भार उसके ऊपर आ जाता है कि जिम्मेदारी का एहसास उनको कुर्सी पकड़ नहीं देता।
    मुझे अपार प्रसन्नता है कि जितने भी दायित्व अब तक दिए गए हैं या जिन्होंने खुशी से लिए हैं उन्होंने इसको चरितार्थ किया है।

    कपिलश फाउण्डेशन ने अपने ही बैनर तले 25 सितंबर 2024 को 12 बजे से 01 अक्टूबर 2024 को रात्रि 10 बजे तक लगातार 154 घंटो 16 मिनट 33 सेकेंड तक चलने वाले विश्व के सबसे लंबे कवि सम्मेलन और मुशायरे का विश्व कीर्तिमान 2021 में बनाए गए लगभग 128 घंटो के विश्व रिकॉर्ड को तोड़ कर दोबारा अपने ही नाम किया। इस कवि सम्मेलन में देश भर के 14 राज्यों के 678 कवि कवयित्रियो ने अपना पंजीकरण कराया था। मोहम्मदी रोड स्थित रॉयल लॉन 7 दिनों तक चलने वाले छोटी काशी काव्य महाकुंभ का आयोजन स्थल बना। इस पूरे आयोजन का शब्द चित्र निम्नलिखित है-

    मुख्य अतिथि के रूप में धौरहरा सांसद आनन्द भदौरिया एवं खीरी सांसद उत्कर्ष वर्मा ने मंच का उद्घाटन किया। अध्यक्षता खीरी दरगाह के सज्जादा नशीन सैय्यद मुमताज़ मियां चिश्ती रहे। अस्वस्थता के चलते कपिलश फाउण्डेशन की संस्थापक लक्ष्मी खरे ने लिखित रूप में सभी के प्रति अपना आभार प्रकट किया था।

    व्यवस्थाओं में लगी रही आयोजन समिति

    कार्यक्रम कुलपति अरुणेश मिश्र, कार्यक्रम संरक्षक विनय तिवारी, विजय शुक्ल रिंकू, आनन्द त्रिवेदी, प्रह्लाद पटेल, ज्ञान स्वरुप शुक्ल  ज्ञानू महाराज , डॉ वी बी धुरिया, नानक चंद वर्मा कार्यक्रम संयोजक यतीश चन्द्र शुक्ल, श्रीकांत तिवारी कांत, रविसुत शुक्ल, रेखा बोरा आयोजन समिति के नंदीलाल, वेद प्रकाश अग्निहोत्री, रमाकान्त चौधरी, राममोहन गुप्ता, बी पी बेधड़क, सुधीर अवस्थी, अरविन्द गुप्ता रामजी, रामजी रस्तोगी सरल, द्वारिका प्रसाद रस्तोगी, शैलेन्द्र सक्सेना, डॉ स्मिता तिवारी, हितेश सुशांत, अभिषेक लंकेश, प्रदीप रघुनायक आदि ने व्यवस्थाएं सम्हाली।


    उद्घाटन सत्र में कौन रहे प्रथम कवि, संचालक, निर्णायक

    प्रदेश के सबसे बुजुर्ग कवि मुरलीधर त्रिपाठी “अनजान” ने कार्यक्रम स्थल का उद्घाटन किया। प्रथम कवि के रूप में सीजीएन पीजी महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य और कार्यक्रम पर्यवेक्षक प्रो. विश्वम्भर शुक्ल ने काव्यपाठ किया। फाउंडेशन की अध्यक्ष शिप्रा खरे के आमंत्रण पर उद्घाटन समारोह का प्रारंभिक संचालन साहित्यकार रमेश पाण्डेय शिखर शलभ ने किया। प्रथम पाली के संचालन सीतापुर  के रजनीश मिश्र एवं दिल्ली की अनुराधा पाण्डेय ने किया।


    रिकॉर्ड बुक की ओर से प्रथम जज के रूप में चाटर्ड अकाउंट निशान्त जैन और जीवनलाल कमला देवी कन्या महाविद्यालय की प्रधानाचार्या जया अग्निहोत्री रहीं।
     टाइमकीपर के रूप में गीतांजलि, ज़ेबा, अभय शुक्ला और गिरजेश वर्मा , यश पटेल ने जिम्मेदारी संभाली।


    दो रिकॉर्ड बुक कर रही थी निगरानी

    इस अंतर्राष्ट्रीय आयोजन की निगरानी दो  रिकॉर्ड बुक ने की। पहली संस्था अमेरिका की “द गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड” ने पिछले बार के विश्व रिकॉर्ड की भी निगरानी की थी। दूसरी संस्था दुबई यू एई की “द बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड” रही। गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्डस के इंडिया हेड आलोक कुमार और द बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्डस के जज समीर सिंह ने 128 घंटे पूरे होते ही विश्व रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र कपिलश की संस्थापक अध्यक्ष शिप्रा खरे यानी कि मुझे और संयोजक यतीश शुक्ला को सौंपा।


    सख्त नियमों का हुआ अनुपालन

     द गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड और द बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्डस दोनों ही रिकॉर्ड बुक ऑनलाइन माध्यम से भी  की निगरानी करते रहे और अंतिम दिन उनके निर्णयको ने अपने अपने प्रमाण पत्र दिए। नियमानुसार प्रत्येक कवि को काव्य पाठ के लिए न्यूनतम 5 मिनट और अधिकतम 20 मिनट का समय दिया गया दो शब्दों के मध्य 30 सेकंड का मन वर्जित था। प्रत्येक पाली में दो संचालक नियुक्त हुए जिन्होंने नियमों के अंदर रहते हुए कवियों से काव्य पाठ कराया।


    बड़ी संख्या में कवयित्रियों ने शिरकत की

     इस विश्व कीर्तिमान की विशेषता यह रही कि इसमें कवियों के साथ ही साथ बड़ी संख्या में कवत्रियों ने भी शिरकत की। 678 रचनाकारों में से लगभग 40 प्रतिशत कवित्रियों ने इस आयोजन में काव्य पाठ किया। देशभर के नामी ग्रामीण कवियों ने अपने काव्य पाठ से इस पूरे आयोजन में चार चांद लगा दिए।


    देश के चर्चित काव्य नाम हुए शामिल

     प्रो ओमपाल सिंह निडर आगरा, डॉ अनिल मिश्र, शिव मंगल सिंह, सुफलता त्रिपाठी, अलंकार रस्तोगी लखनऊ, रजनी मेहरोत्रा नैय्यर झारखंड, नीलम बांवरा मन, एन सी खंडेलवाल, रजनीश त्यागी, अनुराधा पाण्डे दिल्ली, मनीषा जोशी नोएडा, कुसुम सिंह अविचल कानपुर, प्रांजल सिंह आगरा, डॉ चैतन्य चेतन, श्रीपाल शर्मा।


    टोली में शामिल हुए कवि

    ललितपुर के प्रसिद्ध कवि पंकज अंगार के साथ कुमार नीतेश नैश,सुफलता त्रिपाठी, अनिल मिश्रा, रंजना गौतम, शानू राज, शीतल देवयानी, श्रुति शारदा श्री, प्रमिला किरण, लीना परिहार, सुनीता पटेल, शैफालिका झा, शैलजा दुबे, चांदनी केसरवानी, मंजू कटारे, अनीता मौर्य, प्रतिभा पटेल, आनंद पगारे, मनीष तारण और पंकज जोशी आए। लखनऊ के प्रसिद्ध छंदकार मनोज शुक्ला के साथ सरोज सिंह परिहार, नीरजा नीरू, शशि तिवारी, राजेश बाजपेई, ज्योत्सना सिंह आदि आए।


    सांभवी बनी सबसे कम उम्र की कवयित्री

    नोएडा के जी डी गोयनका स्कूल की कक्षा सात की ग्यारह वर्षीय छात्रा ने इस विश्व रिकॉर्ड आयोजन में अपनी तीन  कविताओं का पाठ किया। शांभवी ने शिक्षकों और चिड़िया पर कविताएं सुनाई जिसे श्रोताओं की खूब प्रशंसा मिली।


    लखनऊ की मीरा बनी अंतिम रचनाकार

    बड़े बड़े कवि सम्मेलनों में शिरकत करने वाली लखनऊ निवासी प्रसिद्ध कवयित्री दिव्या मीरा ‘अर्क’ ने अंतिम कवयित्री के रूप में काव्य पाठ कर सभी का मन मोह लिया।

    संचालकों की भूमिका रही महत्वपूर्ण

    इस पूरे आयोजन को छह छह घंटो की पालियों में बांटा गया था जिसका संचालन यतीश शुक्ला, रमाकांत चौधरी, हितेश सुशांत, श्रीकांत तिवारी, रमेश पांडे शिखर शलभ, वेद प्रकाश अग्निहोत्री, राम मोहन गुप्ता, वैद्य रामजी गुप्ता सरल, कुमार नीतेश नैश, मनोज शुक्ल, संजीव सारस्वत तपन, प्रतोष मिश्र, सुधीर अवस्थी, शिप्रा खरे, अभिषेक लंकेश ने किया।


    नवोदित कवियों के लिए कार्यशाला बना आयोजन

     सात दिनों तक चलने वाले इस सारस्वत आयोजन में नवोदय कवियों को बहुत कुछ सीखने को मिला। एक ही स्थान पर चर्चित नामों से मिलने का अवसर पाकर नवोदित कवि बहुत प्रसन्न हुए। यह पूरा आयोजन कविता सुनाने की कार्यशाला के रूप में भी वर्षों तक जाना जाएगा।
    इस शब्दचित्र के माध्यम से इस पूरे आयोजन को समझाने का यह प्रयास भर है। इस विशेषांक के माध्यम से हमने आयोजन के चित्रों को सहेजने का कार्य भी किया है।
    उम्मीद है आपको हमारी यह शैली भी पसंद आएगी।


    धन्यवाद

    शिप्रा खरे

     अध्यक्ष कपिलश फाउंडेशन