Skip to content

कदम थका दिए तूने

    -डॉ उदयवीर सिंह
     

    ए जिंदगी कभी कभी लगता है,

     कि कदम थका दिए तूने ।

    फिर उठती  एक आवाज जेहन से और पूछती है,

    अभी  सफ़र ही कितना तय किया है तूने ।।

    ए राही सफ़र तो तय करना पड़ता है,

    इन कदमों को भी चलना पड़ता है।

    होते पग घायल जीवन पथ पर,

    फिर भी आगे रखना पड़ता है।।

    आहिस्ता आहिस्ता ही सही

    पर चलना तो पड़ता है ।

    तू बहती हुई नदियों को देख,

    मार्ग में आते पत्थरों को देख।।

    ख्वाहिश समुद्र मिलन की है

    उनको हर पल बहता देख।

    अपना लक्ष्य साधने को,

    पत्थरों से  जूझना पड़ता है।।

    है  साधना उद्देश्य प्राप्ति

    साधक को लक्ष्य के रंग में रंगना पड़ता है।

    चढ़ जाए रंग यदि लक्ष्य प्रेम का,

    तो लक्ष्य को मिलना पड़ता है।।

    कृत्रिम पैरों के सहारे सागर माथा विजेता,

    अरुणिमा सिन्हा को क्या नहीं सुना तूने।

     ए जिंदगी कभी कभी लगता है,

     कि कदम थका दिए तूने ।।

    डॉ उदयवीर सिंह

    एटा