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कपिलश

    -एन पी पाठक अभाषित
     

    कपिलश  अंतर्राष्ट्रीय  मंच, अप्रत्याशित  आयोजन।

    सप्त   दिवसीय   काव्य  पाठ,  अनवरत  संयोजन।

    छोटी काशी महाकुंभ,गोलागोकर्णनाथ समायोजन।

    विश्व कीर्तिमान,अप्रतिम  उपलब्धियों का  प्रयोजन।१

    अति उत्तम अनुशासन, सर्वोत्तम नमन, वंदन,चंदन।

    सुखनवर,गजलकार,कवियों का हार्दिक अभिनंदन।

    रहन सहन सुव्यवस्था, यथा समय स्वादिष्ट भोजन।

    विश्व कीर्तिमान, अप्रतिम उपलब्धियों का  प्रयोजन।२

    शिप्रा खरे जी, संस्थापिका, मृदुल भाषी, मधु वचन।

    आवंटित   कार्य    क्षेत्र,   निर्धारण   मध्य   संतुलन।

    सीमित वक्तव्य सीमा,सुव्यवस्थित,संचालन शोधन।

    विश्व कीर्तिमान,अप्रतिम  उपलब्धियों का  प्रयोजन।३

    गीतिका,गीत,गजल,मुक्तक, सुखनवर,कवि सृजन।

    छंद,   दोहा,    चौपाई,    सवैया,   शायरी,   भजन।

    नारी शक्तियों  का  भी  यहां, अति उत्कृष्ट  संबोधन।

    विश्व  कीर्तिमान, अप्रतिम उपलब्धियों का प्रयोजन।४

    समस्त हिंदोस्तां से,कवि कवयित्रियों का पंजीकरन।

    निर्धारित  दिन,  दिनांक,  हुआ  सभी का  आगमन।

    संकल्पपूर्ति योगदान,सफल कवि पुस्तक विमोचन।

    विश्व कीर्तिमान, अप्रतिम उपलब्धियों का  प्रयोजन।५

    कीर्तिमान बनते रहें, भारत की बड़े आन बान शान।

    उच्च शिखर पर रहे सदा, अपने हिन्द देश का मान।

    छोटी  काशी  गोला से हो, फिर कोई  नया उद्बोधन।

    विश्व कीर्तिमान अप्रतिम, उपलब्धियों का  प्रयोजन।६

    “अभाषित नरेंद्र” निःशब्द, कैसे   बांधूं  शब्द बंधन।

    प्रेषित  करूं  बधाई, शुभ कामनायें   हृदय  स्पंदन।

    असाधारण,अद्वितीय,अतुलनीय,संसाधन सुयोजन।

    विश्व कीर्तिमान, अप्रतिम,उपलब्धियों का प्रयोजन।७

    -एन पी पाठक अभाषित

    बिसौली, बदायूं।