Skip to content

खेल जारी है..!!

    -अलंकार रस्तोगी

    पिछले दो दिनों से बिजली इस कदर आ और जा रही था कि शरीर से अंदर और बाहर जा रही साँसे भी अपनी गति पर शर्मा रही थी। जो श्रीमती जी अपने अंदर हमेशा एक सुशुप्त ज्वालामुखी दबाए हुए रहती थी  इस कारण वह भी फूटने की कगार पर आ चुका था। बिजली के इस आवागमन की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए श्रीमती जी ने मेरे ऊपर उनके हिसाब से हलकी धाराएं लगाते हुए एक अदद ‘इनवर्टर’ की डिमांड को शाम तक पूरा होने के अल्टीमेटम के साथ रख दी।

    रूस भले ही एक बार यूक्रेन को अल्टीमेटम देकर अपनी मिसाइलें दागना भूल सकता है लेकिन श्रीमती ने अगर एक बार अल्टीमेटम दे दिया तो उसके बाद उनकी आँखों से आँखों में वार करने वाली खूंखार मिसाइलों का चलना तय है। पति रुपी निरीह प्राणी के पास अन्य देशों की तरह संयुक्त राष्ट्र के पास जाकर अपना दुखड़ा रोने का विकल्प भी नहीं होता है। मैंने अब अंतिम विकल्प के रूप में बाज़ार की और कूच कर ‘इनवर्टर’ लाने का कष्टकारी निर्णय ले लिया था।

    एक मध्यम वर्गीय इंसान के लिए सामान खरीदने में सबसे बड़ा संशय यही होता है कि कहीं गलत नम्बर डायल हो गया तो खून पसीने की कमाई पानी में चली जाएगी। इसलिए मैं ईश्वर को हाज़िर -नाज़िर मानकर किसी अच्छे ब्रांड वाले ‘इनवर्टर’ की तलाश में लग गया था। तभी सड़क किनारे लगे एक होर्डिंग में ‘नार्मल’ भगवान की जगह क्रिकेट के भगवान यानी सचिन तेदुलकर साहब एक ‘इनवर्टर’ का प्रचार करते हुए प्रकट हो गए। मैंने सोचा ये तो क्रिकेट के भगवान है कोई गलत रास्ता थोड़े ही बतायेंगे। सचिन साहब मेरे लिए संकटमोचक बन चुके थे।  मैं उनके बताये हुए ‘इनवर्टर’ को खरीदने के लिए दिखाए गए मार्ग पर चल दिया।  मैं इस बात के लिए भी भी प्रसन्न था कि जो ‘इनवर्टर’ भगवान का घर रोशन कर रहा हो वो मेरे जैसे इंसान के घर को उजियारा तो कर हो देगा।

    मैं अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता चला जा रहा था ।तभी अचानक सड़क के दूसरी तरफ एक अन्य होर्डिंग में सचिन के उत्तराधिकारी, युवा दिलों की धड़कन, युवाओं में दाढ़ी बढवाने के प्रणेता, बोलीवुड हिरोइन पति श्रीमान विराट कोहली एक दूसरे ब्रांड के ‘इनवर्टर’ की अम्बेसडरी कर रहे थे। जो जनाब क्रिकेट के भगवान का बनाया हुआ रिकार्ड तोड़ दे उसकी बात को हलके में तो नहीं लिया जा सकता था। इसलिए मैंने उनके बताये हुए ‘इनवर्टर’ को सचिन के बताये हुए ‘इनवर्टर’ पर तरजीह देकर खरीदने का प्लान बनाना शुरू कर दिया। अब समस्या यह थी इस चक्कर में बेचारे सचिन या विराट में से किसी एक को रुसवा होना ही था।

    अब एक तरफ क्रिकेट के भगवान का मार्गदर्शन , दूसरी तरफ विराट व्यक्तित्व वाले विराट कोहली की राय तो तीसरी तरफ मेरी श्रीमती जी का ‘डू ऑर डाई’ वाला अल्टीमेटम। मैं कन्फ्यूज़न के इस बरमुडा ट्रायंगल में डूबता चला जा रहा था। उपभोक्तावाद के इस दौर में क्रिकेट जगत के इन क्रांतिकारियों के आन्दोलन से मेरे जैसे मासूम उपभोक्ता को ‘क्या करूँ -क्या न करूं’ वाली स्थित्ति में पहुंचा दिया था। मैं अब अपने आम आदमी वाले एहसास को भली भांति महसूस कर रहा था। जिसे कोई ब्रांड चूस कर खाने की फिराक में था तो कोई काटकर खाने की जुगत लगाये था।

    क्रिकेट के इन  खेवनहारों को उपभोक्ताओं की भवसागर में फंसी हुई  नैया को पार लगाने का बीड़ा दिया गया था। मुझे नहीं मालूम था कि जो क्रिकेटर कभी कंधे से कन्धा मिलाकर दुश्मनों के छक्के छुडाते थे वही आज पैसों के लिए एक दूसरे के खिलाफ खड़े हुए हैं । मैंने संशय के इस दोराहे को मिटाने के लिए आंकड़ों का सहारा लिया। वैसे भी प्रजातंत्र में सत्ता उसी को मिलती है  जिसके पास आंकड़ों का बहुमत होता है। मैंने ‘हाथ कंगन को आरसी क्या’ वाले दर्शन पर भरोसा करते हुए जेब से मोबाइल निकाला और गूगल में सचिन और विराट के क्रिकेट के आंकड़ों के एवरेज की जानकारी प्राप्त कर ली। दोनों के आंकड़े  देखकर मेरा कन्फ्यूज़न और भी बढ़ गया। सचिन टेस्ट में आगे थे तो विराट वन डे में उन्हें मात दे रहे थे। मैंने सोचा ‘इनवर्टर’ तो सालो के लिए लिया जाता है वन डे की बात यहाँ नहीं चलेगी।

    इसलिए मैंने मास्टर ब्लास्टर के टेस्ट मैच के एवरेज को देखते हुए उनके बताये हुए ‘इनवर्टर’ ब्रांड पर अपनी मोहर लगा दी। अब मैं इस कन्फ्यूज़न की बाधा को दूर कर आगे बढ़ा जा रहा था। जैसे ही मैं बस चार कदम आगे बढ़ा था वैसे ही एक तीसरे होर्डिंग में ‘हेलिकाप्टर शॉट’ के अविष्कारक और अब तक के सबसे सफलतम कप्तान आदरणीय महेंद्र सिंह धोनी भी अपने ‘इनवर्टर’ ब्रांड का प्रचार करते हुए दिख गए।

    अब मैं समझ चुका था कि खिलाड़ियों की इस ब्रांड अम्बेसडरी के खेल में उपभोक्ता को किसी गेंद की तरह ट्रीट किया जा रहा है। कोई उसे लपक रहा है तो कोई उसे थूक लगा कर घिस रहा है तो कोई उसे बाउंड्री के बाहर फेंक रहा है। खिलाडियों  के अनुभवों का खूब फायदा उठाया जा रहा है । गेंद की जमकर धुनाई जारी है। वैसे भी चीथड़े होने पर खेलने के लिए नयी गेंद मिल ही जाती है।

    -अलंकार रस्तोगी

    व्यंगकार

    लखनऊ, उत्तर प्रदेश