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लालन-पालन

    अनूप सक्सेना
      जबलपुर

    विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2

    बच्चे होते हैं मनभावन,
    मन को करते हैं वह पावन।
    कर्मठ होना हमें सिखाते,
    संयम का भी पाठ पढ़ाते।।

    अनुशासित हमको होना है,
    आशान्वित हरदम रहना है।
    सपने अपने स्वयम् सजायें,
    कर पूरा उनको दिखलायें।।

    बच्चों को सुदृढ़ रखना है,
    कटु वचनों से ही बचना है।
    रोक-टोक ना उन्हें सुहाती,
    दूर उन्हें हम से ले जाती ।।

    सीखेंगे केवल वे उसको,
    देखेंगे करते जो हमको।
    देखेंगे जितनी वे खटपट,
    भ्रमित बुद्धि से होंगे नटखट।।

    तालमेल जब उन्हें दिखेगा,
    उनका मन भी तभी बढ़ेगा।
    आदर वे  जितना पायेंगे,
    कई गुना ही दिलवायेंगे।।