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मेरे कृष्ण

    – सुयश खरे

    खुद को ईश्वर कहते हो

    तो अपना नाम बताओ,

    ऐसा क्या कर डाला तुमने

    सारे जग को तो दिखलाओ

    यह सुनते ही श्रीकृष्ण का

    भावुक सा मन डोल गया,

    फिर तीनों लोकों का स्वामी

    तनिक क्रोध से बोल गया।

    सुनो पार्थ कान खोल कर

    मैं ही त्रेता का राम हूं,

    कृष्ण मुझे सब कहते हैं,

    मैं द्वापर का घनश्याम हूं,

    दुष्टों को दण्ड देने मैं

    लेता पृथ्वी पर अवतार

    अगणित रूप धरे मैंने

    करने को उनका उद्धार

    कंस जैसे कई असुरों का

    सर्वनाश कर मार दिया,

    सतयुग में बनकर नरसिंह

    हिरण्यकश्यप का संहार किया

    श्री विष्णु के षष्ठ रुप में

    परषुराम मतवाला हूं,

    नाग कालिया के फन पर

    मैं मर्दन करने वाला हूं।

               सुयश खरे

               इलाहाबाद