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मिलियन डॉलर स्माइल

    -रेनू गुप्ता, जयपुर

    विहंगम, अप्रैल-मई 2024, वर्ष-1 अंक-2

    “हैपी बर्थडे टू यू…हैपी बर्थडे टू यू…!”

    पार्श्व में बजते इस संगीत के मध्य मीतू अपनीमाँ को उनके अस्सीवें जन्मदिन पर सहारा देते हुए लंदन के फ़ाइव स्टार होटल के डाइनिंग हॉल मेंले जारही थी। लाल गुलाबों, जलती हुई सुगंधित मोमबत्तियों और उनके और पापा के खूबसूरत पोस्टरों से सजे हॉल को देख उनकी आँखों में ख़ुशियों भरी एक अद्भुत चमक आगई। 

    माँ को यूँ आह्लादित देख मीतू अनिवर्चनीय ख़ुशी से भर उठी। 

    आज माँ का इस पकी उम्र में विदेश यात्रा का सपना पूरा हुआ। 

    यह कमाल हुआ था, उसकी अपनी बेटियों, अन्विति और अनुकृति के प्रयासों से।

    मीतूस्वयं तो अपनी दोनों बेटियों के पास लंदन पिछले तीन वर्षों से आती-जाती रही है। 

    एक दिन उसकी माँ ने उससे कहा, “मैं अब बहुत बूढ़ी हो गई।अनुकृति, अन्विति लंदन दस सालों पहले गई होतीं, तो मैं भी परदेस घूम लेती। तेरे पापा ने तो अपने ही देश में ताज-महल तक नहीं दिखाया। कहती रह गई मैं।”

     बस तभी से मीतू के दिमाग में यह बात रह-रह कर कुलबुला रही थी। क्या इस घोर बुढ़ापे में हर वक़्त जोड़ों के दर्द से कराहती माँ आठ-नौ घंटों की लंदन की हवाई यात्रा झेल पाएँगी?

    उसने माँ की इस चाहत के बारे में अपनी दोनों उच्चपदस्थ बेटियों को बताया।

     इस पर उन्होंने तपाक से कहा,“बस इतनी सी बात? नानी बिज़नैस क्लास में लेटे-लेटेबड़े आराम से इतना लंबा सफ़र तय कर लेंगी।”

     उन दोनों ने मिल कर माह भर में ही माँ की एग्ज़ीक्यूटिव क्लास में टिकट करवा दी।

    बेटियों को अपनी और माँ की टिकटों पर एक बहुत बड़ी रकम ख़र्च करते देख एकबारगी को तो वह गहन अपराध भावना से भर गई। उनका बहुत पैसा नाहक ही घूमने-फिरने जैसी ग़ैरज़रूरी बातों में ख़र्च हो जाएगा। 

    उनसे यह कहने पर अन्वितिबोली, “मम्मा!नानी ने सारी ज़िंदगी आप बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए होम कर दी। नानाजी की सीमित आय में अपनी हर छोटी-बड़ी इच्छाका गला घोंट उन्होंने आप पाँच भाई-बहनों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दी। 

    आज आप और हम जिस मुकाम तक पहुँचे हैं, उसमें उनका भी बहुत अहम योगदान है। तो आप यह गिल्ट मत पालो, कि हमारा बहुत पैसा नानी पर खर्च हो जाएगा। बल्कि आप तो यह सोचो कि यह विदेश यात्रा उन्हें कितनी बेहिसाब ख़ुशीदेगी।

    अपनी इच्छा पूरी होने पर उनके चेहरे पर जो मिलियन डॉलर स्माइल आएगी, उसकी तुलना में ये रुपये कुछ भी नहीं।”

    मीतू को लगा, लायक बेटियों की वजह से आज उसकी भी ज़िंदगी भर की तपस्या सफल हुई।